।। राजेन्द्र कुमार ।।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त का हिसाब चुकता करने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सूबे की एक लोकसभा और ग्यारह विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनावों में इस बार अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों की फौज उतार दी है.
सपा प्रमुख ने इन मंत्रियों को ग्यारह विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे सपा प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मा सौंपा है. मंत्रियों को मिले इस दायित्व को लेकर कहा जा रहा है कि जो मंत्री अपने प्रभाव क्षेत्र की पार्टी प्रत्याशी को जिता पाने में नाकाम रहेगा, उसका मंत्रिपद जाएगा. ऐसे में अब यह उपचुनावों सपा प्रत्याशियों के साथ ही अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों का भी इंतहान सरीखे हो गए हैं और इतंहान में पास होने के लिए तमाम मंत्री दिन रात सपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए क्षेत्र में दौड़भाग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि बीते लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के सदमें से सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अभी तक उबर नहीं पाए हैं. बीते लोकसभा चुनावों में मुलायम सिंह ने प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया था, पर सूबे की 80 संसदीय सीटों में से सिर्फ पांच सीटों पर ही सपा को जीत हासिल हुई. जिनमें सपा प्रमुख आजमगढ़ और मैनपुरी संसदीय सीट से जीते थे.
लोकसभा चुनावों के इस परिणाम से आहत होकर सपा प्रमुख ने अखिलेश सरकार के कई मंत्रियों पर हार की ठिकरा फोड़ते हुए उनके विभागों में फेरबदल कर दिया था. फिर सपा प्रमुख ने सूबे में ग्यारह विधानसभा और एक लोकसभा संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनावों में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का लक्ष्य तय करते हुए अखिलेश सरकार के तमाम मंत्रियों को इन्हें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी. सपा नेताओं के अनुसार जिन मंत्रियों को यह दायित्व मिला, उन सभी से ये भी कहा गया कि जो मंत्री अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशियों को जिताने में नाकाम रहेगा उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
सपा प्रमुख से मिली उक्त जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अखिलेश सरकार के आजम खान, अंबिका चौधरी, आजम खान, अहमद हसन, ओम प्रकाश सिंह, शाहिद मंजूर, नारद राय, गायत्री प्रजापति, मनोज पाण्डे, दुर्गा प्रसाद यादव, बलराम यादव और शिवपाल सिंह यादव जैसे वरिष्ठ मंत्रियों के साथ कई अन्य मंत्री भी बीते 20 दिनों से लखनऊ से बाहर हैं. यह सभी मंत्री सूबे की ग्यारह विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे पार्टी प्रत्याशी के साथ उनके क्षेत्र चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
इनमें कई मंत्री ऐसे भी हैं जिन्होंने बीते लोकसभा चुनावों के दौरान सपा प्रमुख से पार्टी प्रत्याशी को जिताने के बड़े-बड़े वायदे किए थे पर वह अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में भी असफल रहे. अब यह मंत्री अपने क्षेत्र में जनता के हाथ जोड़कर उनके अपनी इज्जत बचाने की गुहार कर रहे हैं. चर्चा है कि जनता से वोटों की भीख मांग रहे मंत्रियों की कार्यशैली पर मुख्यमंत्री की नजर है.
चुनावों के बाद सरकार के कामकाज पर जनता से वोट ना मांगने वाले ऐसे मंत्रियों के विभाग बदले जाऐंगे. इनमें ब्राह्मणों का विश्वास हासिल करने का दावा करने वाले एक कैबिनेट मंत्री के अलावा पिछड़ी जातियों को साथ लेने का दावा करने वाले एक मंत्री भी हैं. मुख्यमंत्री के एक नजदीकी मंत्री के अनुसार, सपा प्रमुख चुनाव प्रचार में लगे हर मंत्री की गतिविधियों की रिपोर्ट रोज ले रहे हैं.
मंत्रियों की गाड़ी चला रहे ड्राइवर से लेकर उनके साथ लगे पार्टी कार्यकर्ता तक से जानकारी प्राप्त कर तैयार की गई रिपोर्ट सपा प्रमुख के समक्ष रोज रखी जा रही है. ऐसे में अब यदि उपचुनावों का परिणाम सपा प्रमुख के मन मुताबिक ना आया तो चुनाव प्रचार में लगे तमाम मंत्रियों को अपने विभागों और पदों से हाथ धोना पड़ेगा. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 13 सितंबर को कौन-कौन मंत्री अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराकर पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करते हुए सपा प्रमुख की कसौटी पर खरा उतरेगा और किसे सपा प्रमुख खारिज करेंगे.
* किन मंत्रियों को कहां मिली जिम्मेदारी
– संसदीय क्षेत्र:
मैनपुरी — शिवपाल सिंह यादव, धर्मेद्र यादव व अरविंद सिंह.
* 11 विधानसभा क्षेत्र :
लखनऊ पूर्वी –अंबिका चौधरी, अहमद हसन, अरविंद कुमार सिंह ‘गोप’ व अभिषेक मिश्र.
बिजनौर – आजम खान और भगवत शरण गंगवार.
सहारनपुर – शाहिद मंजूर और बलराम यादव.
नोएडा – नारद राय व असीम यादव,
ठाकुरद्वारा – कमाल अख्तर व राजकिशोर सिंह.
कैराना – ओमप्रकाश व रामसकल गुर्जर.
हमीरपुर – गायत्री प्रजापति व नरेंद्र वर्मा.
चरखारी – रामगोविंद चौधरी व राम सुंदर निषाद.
बलहा – शिवप्रकाश यादव व पंडित सिंह.
रोहनिया – दुर्गाप्रसाद यादव, रामदुलार राजभर.
निघासन – राममूर्ति वर्मा, रामकरण आर्य व रामपाल
सिराथू – पारसनाथ यादव व शंखलाल मांझी