भारत देश में ओजोन लेयर के प्रदूषण में वृद्धि के कारण 9.4 करोड लोग भूखे रह जाते हैं. एक अमेरिकी भू-भौतिकविद संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में धरती के उपरी तल पर ओजोन प्रदूषण की वजह से 1.29 अरब डालर मूल्य की 60 लाख टन गेहूं, चावल, सोयाबीन व कपास की फसल बर्बाद हो जाती है.
अध्ययन में कहा गया है कि बर्बाद होने वाले इस गेहूं व चावल की फसल से भारत के करीब 9.4 करोड लोगों का पेट भर सकता है, जो देश की गरीब आबादी का एक-तिहाई हिस्सा है.
इस नए अध्ययन के लेखक भारतीय उष्ण कटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे केवैज्ञानिक सचिन घुदे इस नए अध्ययन के प्रमुख लेखक हैं. भारत में करीब 27 करोड लोग गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं.इस नये अध्ययन में जिन चार फसलों को लेकर अध्ययन किया गया है उसमें गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ.
ओजोन प्रदूषण से 2005 में 35 लाख टन फसल का नुकसान हुआ. एक अन्य खाद्यान वाली फसल धान को इससे 21 लाख टन का नुकसान हुआ. नकदी फसलों में कपास को पांच प्रतिशत का नुकसान हुआ.यह अध्ययन वर्ष 2005 में हुई फसलों पर किया गया जो 14 अगस्त के भू-भौतिकीय अनुसंधान पत्र के अंक में प्रकाशित किया गया.