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सुखना घोटाला : पीके रथ को क्‍लीन चिट,वीके सिंह ने फैसले को चुनौती देने की मांग की

नयी दिल्‍ली : सुखना भूमि घोटाला मामले में सशस्त्र बल न्‍यायाधिकरण द्वारा उनके खिलाफ दिये गये निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए पूर्व सेना प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने कहा है कि सरकार को इसके फैसले को उंची अदालत में चुनौती देनी चाहिए. न्यायाधिकरण ने जनरल सिंह के खिलाफ कुछ छिद्रान्वेषी […]

नयी दिल्‍ली : सुखना भूमि घोटाला मामले में सशस्त्र बल न्‍यायाधिकरण द्वारा उनके खिलाफ दिये गये निष्कर्षों पर सवाल उठाते हुए पूर्व सेना प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने कहा है कि सरकार को इसके फैसले को उंची अदालत में चुनौती देनी चाहिए. न्यायाधिकरण ने जनरल सिंह के खिलाफ कुछ छिद्रान्वेषी टिप्पणियां की हैं. इस बीच, न्यायाधिकरण से क्लीन चिट पाने वाले लेफ्टीनेंट जनरल पी के रथ ने कहा है कि उन्हें लगता है कि फैसले से उनका पक्ष सही साबित हुआ है.

फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जनरल सिंह ने कहा कि मुद्दों के बजाय न्यायाधिकरण ने व्यक्तिगत हमला किया है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘न्यायाधिकरण के फैसले में मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बजाय व्यक्तिगत हमला किया गया है. संभवत: हमें इस प्रकार का फैसला मुश्किल से ही देखने को मिले.’ पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ‘यह मुद्दा बेहद स्पष्ट है और जहां भ्रष्टाचार की रोकथाम का प्रयास किया गया. संभवत: इस प्रकार के निर्णय से, लोग भ्रष्टाचार से भयभीत नहीं होंगे.’

उन्होंने न्यायाधिकरण के उस फैसले की प्रतिक्रिया में यह बात कही जिसमें 33 कोर के पूर्व कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल पी के रथ का कोर्ट मार्शल करने के मामले में सेना प्रमुख के रुप में जनरल सिंह के कदमों को एक प्रकार से कटघरे में खडा किया गया है. न्यायाधिकरण ने सुखना भूमि घोटाले में रथ को क्लीन चिट दी है. जनरल सिंह ने कहा, ‘उन्होंने किसी को भी नहीं बताया था कि इस जमीन पर संस्थान निर्मित किया जाये और केवल स्कूल नहीं. इस फैसले के जरिये भ्रष्ट लोगों का हौसला बढ जायेगा.’

उन्होंने कहा, ‘आप कहते हैं कि सुरक्षा परिदृश्य के कारण भूमि पर अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता है. लेकिन जब कोई नया व्यक्ति आता है तो यह कहा जाता है कि सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है. फिर आप इस सिलसिले में किसी को कुछ भी नहीं बताते हैं, जिससे गलत काम का संकेत मिलता है.’ जनरल सिंह ने सशस्त्र बलों के बारे में न्यायाधिकरण की जानकारी के बारे में सवाल उठाते हुए कहा, ‘मुझे निर्णय के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना. न्यायाधिकरण में एक सम्मानित न्यायाधीश थे, जिन्हें सशस्त्र बल के सेवानिवृत्त अधिकारियों द्वारा परामर्श दिया गया. सशस्त्र बल के अधिकारियों ने उन्हें जो परामर्श दिया, वह उसके अनुरुप चले क्योंकि उन्हें सशस्त्र बलों के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों को इसे फिर से देखने की आवश्यकता है. 77 पृष्‍ठों में आप इस बात के बारे में नहीं बोलते कि घोटाला हुआ या नहीं. इस पूरी चीज की वैधता क्या थी. आप केवल सतही वैयक्तिक मुद्दों की बात करते हैं और हमें इस पर फिर से गौर करने की जरुरत है.’ जनरल सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय न्यायाधिकरण के विभिन्न फैसलों के विरुद्ध गया जो सैनिकों के कल्याण के लिए है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रथ 33 कोर एवं निजी बिल्डरों के बीच शिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए सहमति करार पर हुए हस्ताक्षर की जानकारी उच्च अधिकारियों को देने में विफल रहे थे. यह निर्माण ऐसी जमीन पर होना था जो सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील थी.

न्यायाधिकरण ने कल रथ की याचिका से सहमति जतायी थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि जनरल वी के सिंह ने मामले को अनावश्यक महत्व दिया क्योंकि उन्हें तत्कालीन सैन्य सचिव लेफ्टीनेंट जनरल अवधेश प्रकाश के प्रति गंभीर दुर्भाव था. सिंह मानते हैं कि प्रकाश के कारण ही जन्मतिथि के मुद्दे पर उन्हें सहमति जतानी पडी, जो सेना प्रमुख के रुप में उनके कार्यकाल के विस्तार में बाधक बना. इस बीच रथ ने आज कहा कि इस फैसले से उनका यह पक्ष सही साबित हुआ है कि उन्होंने कथित घोटाले में कुछ भी गलत नहीं किया है.

रथ ने पुणे से फोन पर बताया कि मैंने कई वर्षों से इसके कारण काफी कुछ झेला है. लेकिन न्यायाधिकरण के फैसले ने मेरे पक्ष को सही ठहरा दिया है. पूर्व सेना प्रमुख और अब केंद्रीय मंत्री वी के सिंह की इस मामले में भूमिका पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं इन मामलों में व्यक्तिगत नहीं होना चाहता लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि किसी भी व्यक्ति को उच्चाधिकारी द्वारा शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए. सेना को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसा नहीं हो.’ उन्होंने कहा, ‘मैं पहले ही दिन से एटीएफ एवं सेना अधिकारियों से कह रहा था कि प्रक्रिया में मैंने कुछ भी गलत नहीं किया लेकिन अब मुझे राहत मिली है कि न्याय किया गया है.’

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