जमशेदपुर: फरजी बिल के अलावा फरजी परमिट से करीब पांच सौ करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व की चोरी का मामला सामने आया है. फरजी बिलिंग का यह खेल वर्षो से चल रहा था, जिसमें उद्यमी और व्यापारी भी मिले हुए हैं.
बताया जाता है कि सेंट्रल एक्साइज के इंवेस्टिगेशन विंग की जांच में काफी खामियां पायी गयी हैं और यह परत-दर-परत खुलती जा रही है. इस जांच दल में बिहार-झारखंड और ओड़िशा के अधिकारियों को भी लगाया गया है और साकची से पूरा ऑपरेशन चलाया जा रहा है. बताया जाता है कि इस खेल में स्क्रैप का कारोबार करने वाले कारोबारियों के अलावा इंगट बनाने वाली कंपनियां भी शामिल हैं.
कोई कंपनी नहीं, बिलिंग दिखा दी गयी
इंवेस्टिगेशन विंग ने करीब पांच साल के रिकॉर्ड को खंगाला है. जिसमें बताया गया है कि बिलिंग तो की गयी है, लेकिन जो बिल तैयार किया गया है, उस कंपनी का कोई औचित्य ही नहीं है और न ही कोई वजूद है. इन कंपनियों ने अपने नाजायज उत्पादन को जायज ठहराने के लिए केवल बिल और परमिट 1200 रुपये प्रति टन की दर से जमश्9दापुर के इन फर्मो (फरजी कंपनियां) से खरीदा है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह जाली फर्म और कंपनी बकायदा सेल्स टैक्स विभाग में रजिस्टर्ड हैं. लोहे के इस व्यवसाय में जहां 12.32 फीसदी एक्साइज डय़ूटी है, वहीं 5 फीसदी वैट है. राज्य से बाहर माल बेचने पर 4 फीसदी सीएसटी भी है.
यूपी, दिल्ली, बिहार में करीब 200 कंपनियों में फरजी बिलिंग
अब तक की तफ्तीश में यह जानकारी मिली है कि यूपी, बिहार, पंजाब, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में करीब दो सौ से अधिक कंपनियों ने फरजी बिलिंग की है. इस तरह के फरजी बिल को पकड़ने के बाद कारोबारी परेशान हैं और इसको किसी तरह से मैनेज करने की कोशिश की जा रही है.
नरेडी व भालोटिया के पास से मिली जानकारियां
जुगसलाई और आदित्यपुर में सेंट्रल एक्साइज ने नरेडी बंधुओं और चिंटू भालोटिया के ठिकानों पर काफी देर तक सर्च किया है. वहीं से पूरे मामले का ब्रेक मिला है. इन लोगों के पास से कई जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं. इन दस्तावेजों की बदौलत ही विभाग पूरे मामले का उदभेदन करने में लगा हुआ है.