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15 दिनों में 30 बार सड़क जाम

बिहारशरीफ .पानी नहीं मिला तो सड़क जाम,बिजली नहीं मिली तो सड़क जाम, पढ़ाई नहीं हुई तो सड़क जाम, बाढ़ राहत नहीं मिली तो सड़क जाम. आज कल आये दिन लोगों को सड़क जाम से रूबरू होना पड़ रहा है. चाहे शहर की सड़क हो, मुख्य मार्ग अथवा एनएच हो सभी पर किसी न किसी बात […]

बिहारशरीफ .पानी नहीं मिला तो सड़क जाम,बिजली नहीं मिली तो सड़क जाम, पढ़ाई नहीं हुई तो सड़क जाम, बाढ़ राहत नहीं मिली तो सड़क जाम. आज कल आये दिन लोगों को सड़क जाम से रूबरू होना पड़ रहा है. चाहे शहर की सड़क हो, मुख्य मार्ग अथवा एनएच हो सभी पर किसी न किसी बात को लेकर जाम किया जा रहा है

इसके कारण दूसरे लोगों को क्या परेशानी झेलनी पड़ रही है, इसके बारे में किसी को सोचने की फुरसत नहीं है. दूर-दराज जाने वाले लोग यहां तक की मरीज भी घंटों जाम में फंस कर कराहते रहते हैं. किसी की ड्यूटी छूट रही है, किसी को डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए पहुंचने में देर हो रही है तो किसी को अपने घर पहुंचने में काफी विलंब विलंब हो रहा है. जाम में फंसे लोगों पर क्या बीत रहा है इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. पिछले 15 दिनों के दौरान करीब 30 बार लोगों ने जिले के विभिन्न मार्गो को जाम किया है. इधर, बाढ़ राहत वितरण को लेकर सड़क जाम करने का सिलसिला तेज है.
कही बाढ़ राहत सूची बनाने में अनियमितता का आरोप लगा कर तो कहीं बाढ़ राहत नहीं मिलने की नाराजगी में सड़क जाम किये जा रहे हैं. रोज-रोज लगने वाले इस जाम से जिलेवासी अजीज हो चुके हैं. पुलिस प्रशासन के लोग भी प्रतिदिन हो रहे सड़क जाम से परेशान हो चुके हैं. पुलिस के समझाने-बुझाने का असर भी सड़क जाम करने वाले लोगों पर नहीं पड़ रहा है.
क्या है निर्देश
सड़क जाम करने वालों पर कार्रवाई करने का सख्त निर्देश है.
1. आधा घंटा से अधिक सड़क जाम होने पर दर्ज हो प्राथमिकी
2. सड़क जाम की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी करायी जाय
3. सड़क जाम करने वालों को चिह्न्ति कर उनके खिलाफ कार्रवाई
4. जिन स्थानों पर सर्वाधिक सड़क जाम, तोड़फोड़ की घटनाएं होती है, उसे चिह्न्ति किया जायअपनी बात मनमाने के और भी हैं रास्ते अक्सर देखा जाता है कि लोग अपनी बात मनवाने के लिए सड़क पर उतर जाते हैं, लेकिन लोगों के पास अपनी बात मनवाने के और भी रास्ते हैं. जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों को आवेदन देकर, डीएम के जनता दरबार में शिकायत की जा सकती है. लोग इन उपायों पर विचार करना नहीं चाहते हैं और उनकी समझ है कि इसमें काफी दिन लग जाता है.
नूरसराय के ग्रामीण बताते हैं कि बाढ़ राहत में अनियमितता की शिकायत बीडीओ, सीओ से की गयी थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ.जाम लगने पर ही पुलिस सक्रियजिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन जाम लगने के बाद ही अधिक सक्रिय होता है. इसके पूर्व लोगों की मांग व आवाज को अनसुना कर दिया जाता है या फिर कोई पहल होती भी है तो काफी धीमी गति से. जबकि जाम होने पर उसे हटाने के लिए प्रशासन के लोग जाम कर रहे लोगों की मांग को आनन-फानन में मान लिया जाता है.

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