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मंत्रियों पर लगते दाग पर दाग

झारखंड को किसी की नजर लग गयी है. तारा शाहदेव प्रकरण में नित हो रहे नये खुलासों ने सबकी नींद हराम कर रखी थी कि अब राज्य के कृषि मंत्री व कांग्रेस नेता योगेंद्र साव का अपराधियों से गंठजोड़ उजागर हो गया है. हमेशा चर्चा में रहनेवाले, हजारीबाग के बड़कागांव से विधायक योगेंद्र साव पर […]

झारखंड को किसी की नजर लग गयी है. तारा शाहदेव प्रकरण में नित हो रहे नये खुलासों ने सबकी नींद हराम कर रखी थी कि अब राज्य के कृषि मंत्री व कांग्रेस नेता योगेंद्र साव का अपराधियों से गंठजोड़ उजागर हो गया है.

हमेशा चर्चा में रहनेवाले, हजारीबाग के बड़कागांव से विधायक योगेंद्र साव पर झारखंड टाइगर्स जैसे अपराधी संगठन से दोस्ती के आरोप लगे हैं. साव को इसका संरक्षक बताया गया है. ऐसा सिर्फ झारखंड में ही संभव है, जहां का कैबिनेट मंत्री अपराधी संगठन के संचालन में लिप्त हो. पहले भी नक्सलियों से गंठजोड़ के आरोप यहां के नेताओं पर लगते रहे हैं, लेकिन कभी इस बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिले. साव के खिलाफ पुलिस ने मजबूत सबूत इकट्ठे किये हैं.

पुलिस को झारखंड टाइगर्स के गिरफ्तार सरगना राजकुमार और और पूर्व में बड़कागांव के भवानी महतो अपहरण कांड में पकड़े गये अपराधी राजू के साथ मंत्री की फोन पर बातचीत के भी पुख्ता सबूत मिले हैं. पुलिस ने इम सामले में सीडीआर भी निकाली है. सीडीआर रिपोर्ट के अलावा पूछताछ में गिरफ्तार अपराधियों का पुलिस के समक्ष स्वीकारोक्ति बयान कलमबंद करने के साथ ही उसे रिकार्ड कर लिया गया है.

हालांकि एक दिन पहले ही योगेंद्र साव ने उक्त अपराधियों के साथ सांठगांठ की बात को सिरे से खारिज कर दिया था. लेकिन मिले साक्ष्य कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. साक्ष्य इस बात का भी मिला है कि मंत्री ने इन अपराधियों को हत्या की सुपारी दी.

साव ने अपराधी राजकुमार को बबलू मुंडा नाम के एक व्यक्ति की हत्या के लिए पांच लाख नकद और एक एके 47 राइफल साथ ही पिपरवार क्षेत्र का कोई ठेका दिलाने की पेशकश की थी. राजकुमार की मानें तो वह बबलू मुंडा की हत्या करने पिपरवार गया भी था, लेकिन उसे हत्या करने का मौका नहीं मिला. अब गंभीर आरोपों से घिरे योगेंद्र साव ने सीएम हेमंत सोरेन को प्रस्ताव दिया है कि वह पूरे मामले की सीबीआइ जांच करवायें. पर, तारा प्रकरण में हाजी हुसैन अंसारी और सुरेश पासवान का नाम आने के बाद अब योगेंद्र साव का अपराधी समूह के साथ नाम आने के बाद सरकार को झटका लगा है. राजनीतिज्ञों का इस तरह बार-बार बेनकाब होना झारखंड की राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.

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