नयी दिल्ली: शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के मानिकशॉ ऑडिटोरियम से पूरे देश के करीब सवा करोड बच्चों से रूबरू हुए.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर पूरे देश के छात्रों से बात करने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में शिक्षक दिवस याद भी नहीं किया जाता है. इसका महत्व स्कूलों में सिर्फ आवर्ड देने तक रह गया है.
मोदी ने बच्चों से बात करते हुए अपने भाषण में चिंता जताते हुए सवाल किया कि देश में सामर्थ्यवान विद्यार्थी शिक्षक क्यों नहीं बनना चाहते. मोदी ने बताया कि आज पूरे देश में अच्छे शिक्षकों की कमी है तो क्यों ना हमारे देश से अच्छे शिक्षक निकलें.नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक जमाने में शिक्षक पूरे गांव में आदरणीय माना जाता था. अब परिस्थिति पुन: उसी व्यवस्था को लाने की है.
एक चीनी कहावत बताते हुए प्रधानमंत्री ने समाज में शिक्षकों के महत्व बताया कि ‘पीढियों के बारे में सोचने वाले, इनसान होते हैं’.प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को दिए अपने भाषण को याद करते हुए कहा कि अब भी देश में ऐसे विद्यालय हैं जहां बालिकाओं के लिए शैचालय नहीं है. लेकिन जरूरत है सभी लोगों को इस पर साथ मिलकर कार्य करने की.देश में शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए उन्होंने समाज के पढे लिखे लोगों को सप्ताह में एक बार कक्षा लेने की भी बात पर बल दिया.
प्रधानमंत्री ने बच्चों को बडे लोगों की जीवनी पढने के लिए भी कहा उन्होंने बताया कि यह उनके चरित्र के निर्माण में उपयोगी है. मोदी ने बच्चों से इन्फार्मेसन के लिए सिर्फ किताब, टीवी और कंप्यूटर पर आश्रित रहने के लिए नहीं कहा. उन्होंने कहा कि हर प्रश्नों के उत्तर के लिए केवल गूगल पर निर्भर रहने से ज्ञान नहीं सूचना की वृद्धि होगी.प्रधानमंत्री ने सभी विद्यार्थियों को टेक्नॉलाजी से जुडे रहने की भी अपील की.