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उत्‍तर प्रदेश: उपचुनावों के नतीजे दलों के लिए रोड मैप होंगे

लखनऊ से राजेन्द्र कुमार यूपी में मैनपुरी लोकसभा और ग्यारह विधानसभा सीटों के लिए 13 सितंबर को वोट पड़ने हैं. इसके नतीजे अखिलेश सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं डालने वाले क्योंकि वह पहले से ही बहुत सुकूनबख्श बहुमत में हैं, लेकिन वे राजनीतिक दलों के लिए रोड मैप जरूर साबित होंगे. लोकसभा चुनाव […]

लखनऊ से राजेन्द्र कुमार

यूपी में मैनपुरी लोकसभा और ग्यारह विधानसभा सीटों के लिए 13 सितंबर को वोट पड़ने हैं. इसके नतीजे अखिलेश सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं डालने वाले क्योंकि वह पहले से ही बहुत सुकूनबख्श बहुमत में हैं, लेकिन वे राजनीतिक दलों के लिए रोड मैप जरूर साबित होंगे. लोकसभा चुनाव के समय यूपी के वोटरों ने नरेन्द्र मोदी को लेकर जो रुझान दिखाया था, क्या वह एक तात्कालिक प्रतिक्रिया थी, केंद्रीय सरकार चुनने के संदर्भ में थी या फिर यहां के वोटरों की सोच में वाकई कोई परिवर्तन आया है, एक लोकसभा और ग्यारह विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के नतीजे इसका टेस्ट माने जा रहे हैं. शायद यही वजह है कि राजनीतिक दलों में उपचुनाव के नतीजों को लेकर उतावलापन है. उन्हें उपचुनाव के नतीजों से यूपी के भविष्य की सियासी तस्वीर का अंदाजा लगना है और अपनी रणनीति तय करनी है.
दरअसल तीन महीने पहले लोकसभा चुनाव में यूपी की अस्सी सीटों के जो नतीजे रहे, उसने यहां की राजनीति में पिछले दो दशक से केंद्र में रहने वाले राजनीतिक दलों सपा और बसपा को हिलाकर रख दिया. बसपा की सोशल इंजीनियरिंग को भाजपा हवा में उड़ा ले गयी. सपा का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक उसके पाले से खिसक गया और काग्रेस के जिंदा होने की उम्मीद दम तोड़ गई. भाजपा को चौतरफा समर्थन मिला. तीन माह पहले के इस माहौल में अब भाजपा कहां खड़ी है, यह उपचुनाव से साबित होगा. समाजवादी पार्टी, जिसके लिए यूपी में भाजपा की वापसी को सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है, का मानना है कि लोकसभा चुनाव के समय का परिदृश्य, इस उपचुनाव के समय बिल्कुल बदला हुआ है.
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि अब बीत माह पहले जैसी स्थिति नहीं है. सूबे की जनता भाजपा के झूठे प्रचार तंत्र से वाकिफ हो गई है. नरेन्द्र मोदी के शासन का अब तक का जो कामकाज रहा है उससे सूबे की जनता और मुसलमान बेहद निराश हैं. मोदी सरकार महंगाई पर तक अंकुश नहीं लगा सकी और ना ही वह गरीब जनता के लिए अच्छे दिन ला सकी है. इसी कारण बिहार में लालू-नीतीश गठबंधन को उपचुनावों में सफलता मिली. यूपी में भी अब यही होने वाला है यानि भाजपा को शिकस्त मिलने वाली है. सपा के ऐसे दावे के बीच उपचुनाव में भाजपा पर बेहतर प्रदर्शन का जबर्दस्त दबाव है. सूबे की जिन ग्यारह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, वह सभी भाजपा विधायकों के सांसद बनने के चलते रिक्त हुई हैं.
लोकसभा चुनाव में शानदार कामयाबी के बाद यूपी में भाजपा का जो माहौल बना है उसमें भाजपा को फिर इन सीटों को हासिल करना होगा. उपचुनाव में अगर बेहतर नतीजे नहीं आए, तो भाजपा के प्रति बना माहौल वह तार-तार हो सकता है. भाजपा ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होने देना चाहती. भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के समय यूपी की जनता ने क्षेत्रीय दलों के खात्मे की जो शुरुआत की है, वह उपचुनाव में भी जारी रखेगी, क्योंकि अखिलेश सरकार जनता के हितों की अनदेखी कर रही है और जनता बिजली, पानी की समस्या से जूझ रही है. वही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विदेश में घूम रहे हैं. जबकि उनकी सरकार के तीन मंत्री सपा प्रत्याशियों को जिताने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बसपा के लिए भी जो खतरे की घंटी बजाई थी, उससे सबक लेते हुए बसपा ने अपने को इन उपचुनावों से दूर रखा है. मायावती कहती हैं कि पार्टी उपचुनावों में अपनी ताकत को जाया नहीं करती. यह दावा करते हुए मायावती ने अपने वोटरों को विवेक के अनुसार वोट देने की अपील की है. कांग्रेस भी इन उपचुनावों में पूरी ताकत से नहीं लड़ रही. मैनपुरी संसदीय सीट पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है. यह सीट मुलायम सिंह यादव के इस्तीफा देने से खाली हुई है. कांग्रेस ने विधानसभा की ग्यारह सीटों पर पुराने उम्मीदवारों को फिर उतारा गया है.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी उपचुनावों में चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि उपचुनावों के परिणाम आने के बाद कांग्रेस के नेता भाजपा को हराने के लिए लालू-नीतीश की तर्ज पर यूपी में धर्मनिरपेक्ष दलों का एक महागठबंधन तैयार करने का प्रयास करेंगे. फिलहाल ऐसी चर्चाओं पर ध्यान ना देते हुए यूपी में भाजपा के वरिष्ठ नेता ह्रदय नारायण दीक्षित कहते हैं, ‍यूपी अखिलेश सरकार के खिलाफ जो माहौल है, भाजपा लाभ जरूर उठाने का प्रयास करते हुए उपचुनावों में अपना परचम फहराने की मंशा से चुनाव लड़ रही है. एचएन दीक्षित यह भी मानते हैं कि उपचुनावों के नतीजे सभी दलों के लिए रोडमैप साबित होंगे.
यहां होने हैं उपचुनाव
लोकसभा सीट : मैनपुरी
विधानसभा सीटें : लखनऊ पूर्व, सहारनपुर नगर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा, नोएडा, निघासन, हमीरपुर, चरखारी, सिराथू, बलहा और रोहनियां.

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