जो पाप का जीवन जीते हैं, हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार आदि में अनुरक्त रहते हैं. वे व्यक्ति अथवा तमोगुण वाले व्यक्ति मर कर अधोगति में जाते हैं. जो मनुष्य बन कर न तो पतन की ओर जाता है और न विकास की ओर जाता है, न कमाई करता है और न मूल पूंजी को गंवाता है. यानी जो मूल पूंजी को सुरक्षित रख लेता है, वह पुन: मनुष्यगति को प्राप्त करता है.
जो मनुष्य बन कर न ज्यादा लोभ करता है, न माया-छलना करता है, जो सरल होता है, भद्र होता है, ज्ञानार्जन करने में अपने पुरुषार्थ का नियोजन करता है, वह ऊध्र्वगति को प्राप्त करता है. सत्वगुण वाले सात्विक लोग, रजोगुण वाले राजस लोग और तमोगुण वाले तामस लोग होते हैं. सात्विक लोग ऊध्र्वगति में, राजस लोग मध्यमगति में और तामस लोग अधोगति में उत्पन्न होनेवाले होते हैं. आदमी को यह विचार करना चाहिए कि मेरा व्यवहार, आचार, भाव किस प्रकार का है? मैं कहीं तमोगुण वाला न बन जाऊं.