कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राजनीति में कोई भी अछूत नहीं है और भाजपा को रोकने के लिए उन्हें माकपा से भी गंठबंधन करने में कोई आपत्ति नहीं है.
एक बांग्ला न्यूज चैनाल को दिये साक्षात्कार में ममता ने कहा कि उनकी पार्टी पहले भी सोशलिस्ट यूनिट सेंटर ऑफ इंडिया (एसयूसीआइ) के साथ समझौता किया है. कहा, राजनीति में दरवाजे बंद नहीं होते. विकल्प बंद करने से नहीं चलेगा. यदि माकपा के साथ बातचीत का कोई प्रस्ताव आता है, तो इस पर विचार किया जायेगा. कहा, उन्हें वामपंथियों से घृणा नहीं है.
ममता के बयान को लेकर भाजपा ने ममता को घेरा है. भाजपा ने कहा कि बयान इसकी पुष्टि कर रहा है कि राज्य में भाजपा उभर रही है और इससे ममता डरी हुई हैं. वहीं, वामदलों ने कहा कि ममता से किसी भी कीमत पर गंठबंधन नहीं हो सकता है. इंटरव्यू में बनर्जी ने कहा कि बिहार में भाजपा के खिलाफ लालू, नीतीश और कांग्रेस के समझौता का वह स्वागत करती हैं. यदि लोकसभा चुनाव के पहले यह समझौता होता, तो बिहार में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलती. उन्होंने उनका अभिनंदन किया.
‘‘तृणमूल कांग्रेस या ममता बनर्जी के साथ गंठबंधन का सवाल ही नहीं है. ममता की नीतियों की वजह से पश्चिम बंगाल में भाजपा ने जगह बनायी है. अगर हमें सांप्रदायिक भाजपा से लड़ना है, तो हमें अपने बल पर लड़ना होगा.
गुरुदास दासगुप्ता , माकपा नेता
‘‘उनका बयान इसकी पुष्टि करता है कि भाजपा बंगाल में उभर रही है. वह राज्य में भाजपा के तेजी से उभरने से डरी हुई हैं. उन्हें मालूम है कि अपनी वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति से अगला विधानसभा चुनाव जीतने में कोई मदद नहीं मिलनेवाली है. लिहाजा, वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को संकेत भेज रही हैं, जिनके विरुद्ध उन्होंने 2011 में खुद ही चुनाव लड़ा था.
सिद्धार्थ नाथ सिंह, राष्ट्रीय सचिव,भाजपा
‘‘यही ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस है, जिसकी आतंकी रणनीतियों ने हजारों वामपंथी कार्यकर्ताओं को बेघर कर दिया है. ममता की तुष्टिकरण की नीतियां हैं, जो सांप्रदायिक शक्तियों को राज्य में पनपने में सहायता कर रही हैं.
क्षिति गोस्वामी, राज्य सचिव , आरएसपी