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देश के कई भागों में ब्लैकआउट का खतरा

नयी दिल्ली : उत्तर भारत में बिजली संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है. एनटीपीसी के तीन बिजली घरों में कोयला न के बराबर बचा है. अगर ईंधन की आपूर्ति जल्द सुनिश्चित नहीं हुई, तो 55,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रभावित होगा और देश के कई भागों में ब्लैकआउट की नौबत आ जायेगी. उत्तर […]

नयी दिल्ली : उत्तर भारत में बिजली संकट की स्थिति गंभीर होती जा रही है. एनटीपीसी के तीन बिजली घरों में कोयला न के बराबर बचा है. अगर ईंधन की आपूर्ति जल्द सुनिश्चित नहीं हुई, तो 55,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रभावित होगा और देश के कई भागों में ब्लैकआउट की नौबत आ जायेगी. उत्तर क्षेत्र 5,000 मेगावाट बिजली की कमी से जूझ रहा है.

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक एनटीपीसी का छत्तीसगढ़ में सिपत, दिल्ली में बदरपुर और हरियाणा में झज्जर संयंत्रों में 28 अगस्त को ईंधन स्टॉक समाप्त हो गया. झज्जर संयंत्र एनटीपीसी, दिल्ली व हरियाणा सरकार का संयुक्त उद्यम है.

पिछले 10 दिनों से संयंत्र की स्थिति बिगड़ी है. ईंधन न होने से झज्जर संयंत्र की उत्पादन क्षमता 1,500 मेगावाट से घटा कर एक तिहाई रह जायेगी. संयंत्र को कोयला, महानदी और नॉर्दर्न कोलफील्ड्स से मिलता है. इससे उत्पन्न बिजली हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना को दी जाती है.

एनटीपीसी की 705 मेगावाट क्षमता का बदरपुर बिजली घर भी ईंधन संकट से जूझ रहा है. कहा गया है कि ईंधन आपूर्ति की स्थिति बिगड़ी, तो उत्पादन घटाया जायेगा. कंपनी की 2,980 मेगावाट क्षमता की सिपत संयंत्र की एक इकाई पहले से बंद है. अन्य इकाइयां भी बंद हो सकती हैं.

बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कोयले की कमी से उत्पादन नुकसान रोकने के लिए बिजली घरों को कोयला आपूर्ति में शीर्ष प्राथमिकता मिली हुई है. सीइए के आंकड़ों के अनुसार, 100 तापीय बिजली घरों में से करीब एक चौथाई में चार दिन से भी कम का ईंधन भंडार है.

– संकट क्यों

* कोल इंडिया नहीं कर पा रही पर्याप्त बिजली आपूर्ति

* कमजोर मॉनसून से पनबिजली उत्पादन घटा

* सरकारी कंपनियों ने समय पर पर्याप्त ईंधन का आयात नहीं किया

– क्या है नियम

* कोयले का 15-30 दिन का स्टॉक जरूरी

* बिजली घरों के पास छह दिन का ही स्टॉक

* कल आवंटन रद्द हो जाये, तो!

कोल ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद से खदानों से क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं हुआ. इसलिए बिजली घरों को पर्याप्त कोयले की आपूर्ति नहीं हो सकी. सुप्रीम कोर्ट 1993 से हुए 200 से अधिक कोल ब्लॉक के आवंटन को अवैध ठहरा चुका है. सोमवार को कोर्ट ने सभी आवंटन रद्द कर दिये, तो देश में ब्लैकआउट की नौबत आ जायेगी. 30-31 जुलाई, 2012 जैसी. शायद उससे भी गंभीर. तब 22 राज्यों के 62 करोड़ लोग अंधेरे में रहने के लिए मजबूर हुए थे. इन क्षेत्रों में रेलवे का परिचालन भी ठप हो गया था.

– विडंबना

* दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश भारत पांचवां सबसे बड़ा आयातक भी

* 565 मिलियन टन कोल उत्पादन करता है भारत

* 100 मिलियन टन कोल इंडोनेशिया से मंगायेगा

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