भागलपुर: लोक सेवा अधिकार अधिनियम (आरटीपीएस) की स्थिति जिला में बहुत अच्छी नहीं है. प्रशासन भी इस सेवा को लेकर खास गंभीर नहीं दिखता है. हाल यह है कि इसके दायरे में आने वाली सेवाओं की स्थिति व आंकड़े बताने में आरटीपीएस के नोडल पदाधिकारी से लेकर वरीय पदाधिकारी तक बचते हैं. कोई भी संबंधित पदाधिकारी रिजेक्टेड व एक्सपायर आवेदनों का आंकड़ा व इस संबंध में की गयी कार्रवाई की जानकारी नहीं देना चाहते हैं.
आरटीपीएस का अपेक्षित लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है. इस अधिनियम के तहत अन्य सेवाओं के अलावा सबसे बुरी स्थिति दाखिल-खारिज की है. इसके लिए लोगों को खूब भटकना पड़ रहा है. अधिनियम के तहत इन आवेदनों का निष्पादन तो हो रहा है, लेकिन आवेदकों के काम नहीं हो रहे हैं. आवेदन पर अस्वीकृत की मुहर लगा कर आवेदक को रसीद थमा दी जा रही है.
जानकारी देने में टालमटोल
जिला में आरटीपीएस की अद्यतन स्थिति जानने के लिए जब नोडल पदाधिकारी पूनम कुमारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह कोई जानकारी नहीं दे सकती हैं. वह इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. डीपीआरओ (जिला जनसंपर्क पदाधिकारी) से जानकारी ली जाये. डीपीआरओ दिनेश कुमार ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.
साथ ही उन्होंने बताया कि यह तो सार्वजनिक आंकड़े हैं. नोडल पदाधिकारी को इसकी जानकारी देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. बाद में जब इसकी जानकारी आरटीपीएस के वरीय प्रभारी सह जिला पंचायत राज पदाधिकारी मो शाहिद हुसैन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन लोगों के साथ थोड़ी दिक्कत है. जिलाधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. हालांकि जब उनसे कहा गया कि इसमें छिपाने जैसी क्या बात, क्या जिला में आरटीपीएस की स्थिति अत्यंत खराब है, जो आंकड़े छिपाये जा रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. कल आकर आंकड़ा देख सकते हैं. इस संबंध में जिलाधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पायी.