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राजनीति के दाग धोने की सलाह

अच्छे दिन लाने के वादे के साथ बनी केंद्र की नयी सरकार के तीन माह पूरा होते ही भारतीय राजनीति का एक यक्ष-प्रश्न उसके सामने आ खड़ा हुआ है. यक्ष-प्रश्न यह कि राजनीति और अपराध के गंठजोड़ को कौन समाप्त करे? चुनौती का यह प्रसंग सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से प्रकट हुआ है. मुख्य […]

अच्छे दिन लाने के वादे के साथ बनी केंद्र की नयी सरकार के तीन माह पूरा होते ही भारतीय राजनीति का एक यक्ष-प्रश्न उसके सामने आ खड़ा हुआ है. यक्ष-प्रश्न यह कि राजनीति और अपराध के गंठजोड़ को कौन समाप्त करे? चुनौती का यह प्रसंग सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी से प्रकट हुआ है.

मुख्य न्यायाधीश समेत पांच सदस्यों की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह तो नहीं कहा कि जिन सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं उन्हें मंत्री नियुक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन दिशानिर्देश के तौर पर यह जरूर जोड़ा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को चाहिए कि वे संवैधानिक नैतिकता का पालन करते हुए आपराधिक पृष्ठभूमि के सांसदों-विधायकों को मंत्री बनाने से परहेज करें. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई समझदार मालिक अपने घर की चाबी उस नौकर के हाथ में सौंप सकता है जिसकी ईमानदारी संदेहास्पद हो, और सलाह दी कि संविधान के संरक्षक के तौर पर प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे दागदार पृष्ठभूमि के व्यक्ति को मंत्री न बनाएं. इस प्रसंग में स्पष्ट कानून के अभाव में अदालत बस इतना ही कह सकती थी. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने जब यह कहा कि जिन राजनेताओं को किसी कोर्ट में दो साल या इससे ज्यादा की सजा हो चुकी हो उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया जा सकता, तो अध्यादेश के जरिये इस फैसले को निष्प्रभावी कर दिया गया था. इसलिए कोर्ट ने अब नैतिकता के हवाले से अपनी बात रखी है.

यों भी हर प्रसंग के लिए पहले से कानून नहीं बनाया जा सकता. संविधान सभा के अध्यक्ष पद से बोलते हुए डॉ राजेंद्र प्रसाद ने संविधान में दोष देखनेवालों को लक्ष्य करके कहा था- ‘जरूरी नहीं कि सारी बातें संविधान में लिखी हों. अगर देश चलानेवाले ईमानदार और सच्चरित्र हुए तो एक त्रुटिपूर्ण संविधान से भी अच्छा शासन चला लेंगे.’ मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खात्मे के नारे के साथ शासन में आयी है, लेकिन स्वयंसेवी संस्था ‘एडीआर’ के अनुसार 45 सदस्यीय मोदी मंत्रिमंडल के 13 सदस्यों के खिलाफ अपराध के मुकदमे दर्ज हैं. इसलिए अच्छा होगा कि अंधेरा दूर करने की शुरुआत नयी सरकार अपने घर से ही करे. राजनीति से आपराधिक तत्वों को दूर रखने की जरूरत के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का मूल संदेश यही है.

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