वलसाड: छत्तीसगढ़ में संपन्न धर्म संसद में पारित प्रस्ताव के मद्देनजर आज यहां के एक मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाकर उसे सुरक्षित बेसमेंट में रख दिया गया. मंदिर प्रशासन का कहना है कि शहर में मौजूद साईं बाबा के श्रद्धालुओं से बातचीत के बाद प्रतिमा को बेसमेंट में सुरक्षित रखने का फैसला किया गया है. श्रद्धालुओं को जैसे ही प्रतिमा की पुर्नस्थापना के लिए कोई उचित स्थान मिल जाएगा वह उन्हें सौंप दी जाएगी.
द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने धर्म संसद का आयोजन कर घोषित किया कि सनातन धर्म मानने वालों को साईं बाबा की पूजा नहीं करनी चाहिए. इस घोषणा के बाद ही वलसाड के मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाने का फैसला किया गया. स्वरुपानंद साईं बाबा और उनकी पूजा करने वालों के कटु आलोचक हैं.
शंकराचार्य के फैसले के बाद वलसाड के घंटाघर के पास स्थित भीड भंजन महादेव मंदिर से आज साईं बाबा की प्रतिमा हटा दी गयी और उसे सुरक्षित बेसमेंट में रख दिया गया. मंदिर के ट्रस्टी शिवजी महाराज का कहना है, हमारा मंदिर अखाडे द्वारा चलाया जाता है, इसलिए हमें नियमों का पालन करना होता है, जैसे हम सिर्फ वैदिक भगवानों जैसे हनुमान और श्रीराम की ही प्रतिमाएं स्थापित कर सकते हैं. हमारे यहां साईं बाबा की भी एक प्रतिमा थी, जिसे आज हमने हटा दिया है और उसे संभाल कर रख दिया है.
उन्होंने बताया कि मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाने की खबर सुनते ही सभी श्रद्धालु वहां जमा हो गए. महाराज के अनुसार, साईं बाबा की प्रतिमा को तीन महीने के बाद बाहर निकाला जाएगा. शिवजी महाराज ने कहा कि साईं बाबा के भक्त जब उनका मंदिर बना लेंगे तो प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठा के लिए उन्हें सौंप दिया जाएगा.