रांची, नागपुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में विपक्षी नेता को नकारने और उपहास उडाने की राजनीति आज भी जारी रही और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसके तीसरे शिकार बने जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मोदी के साथ मंच साझा करने से ही इंकार कर दिया.
इसी माह जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई एक उद्घाटन क्रार्यक्रम में गये थे तो वहां पर उनकी हूटिंग हुई थी और वे मोदी के पीएम बनने के बाद हूटिंग का पहला शिकार बने. उसके बाद 19 अगस्त को हरियाणा के कैथल में मुख्यमंत्रीभूपेन्द्रसिंह हुड्ड़ा हूटिंग के दूसरे शिकार बने. और आज यहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तीसरा शिकार.
कांग्रेस के सहयोगी और झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन द्वारा आज इस मसले को लेकर की गयी टिप्पणी ने भाजपा और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध छेड दिया. सोरेन ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में सरकारी समारोहों में भाजपा समर्थकों द्वारा विरोधियों का इस प्रकार से मजाक उडाया जाना केंद्र राज्य के नाजुक संबंधों के साथ ‘‘बलात्कार’’ के समान है. रांची में आज एक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और इस मौके पर मंच पर मोदी के साथ मौजूद सोरेन को दर्शकों ने हूट कर दिया जिनमें भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल थे. जैसे ही झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता और मुख्यमंत्री ने बोलने के लिए माइक हाथ में लिया भीड ने ‘मोदी , मोदी’ के नारे लगाने शुरु कर दिए और भीड को शांत करने के मुख्यमंत्री के प्रयास विफल साबित हुए.
सोरेन ने हालांकि अपना भाषण जारी रखा जबकि मोदी ने हाथ उठाकर लोगों से संयम बरतने को कहा. सोरेन के पूरे भाषण के दौरान नारेबाजी जारी रही.सोरेन ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री को यह देखना चाहिए जिस संघीय व्यवस्था की वह बात करते हैं. मैं महसूस करता हूं कि यह व्यवस्था का संघीय व्यवस्था का बलात्कार करने जैसा है. इसे तोडने की योजना है. और यह राजनीति खेलने का एक प्रयास है लेकिन लंबे समय तक यह चलेगा नही.’’
सोरेन ने कहा कि वह एक मुख्यमंत्री के रुप में समारोह में शामिल हुए हैं न कि किसी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि के रुप में. पिछले शनिवार को सोलापुर में एक समारोह में भाजपा समर्थकों की नारेबाजी , हूटिंग की वजह से अपना भाषण बीच में रोकने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज नागपुर में मेट्रो परियोजना के ‘‘भूमि पूजन’’ समारोह में शिरकत नहीं की जिसमें मोदी भी मौजूद थे.कल मोदी के समारोह के बहिष्कार की घोषणा करते हुए चव्हाण ने कहा था कि कांग्रेस शासित राज्यों में आयोजित कार्यक्रमों में जहां हाल ही में प्रधानमंत्री मौजूद थे , वहां देश के संघीय ढांचे को कमतर किया गया है.
गौरतलब है कि हरियाणा के कैथल में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के खिलाफ भी भीड ने इसी प्रकार हूटिंग की थी जिसके बाद उन्होंने कहा था कि वह आगे कभी मोदी के साथ मंच साझा नहीं करेंगे. अपने मुख्यमंत्रियों के रुख का समर्थन करते हुए कांग्रेस ने आज दावा किया कि इस प्रकार की घटनाओं के पीछे ‘‘गुप्त रुप से आयोजित’’ और ‘‘सुनियोजित साजिश’’ है. पार्टी ने इसके साथ ही कहा कि किसी को भी निर्वाचित मुख्यमंत्रियों को ‘अपमानित’’ करने का अधिकार नहीं है. कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि मोदी को तुरंत अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस प्रकार की कार्रवाई से बचने को कहना चाहिए था. उन्होंने भाजपा के इस तर्क को स्वीकार करने से इंकार कर दिया कि कांग्रेस को आत्म निरीक्षण करने की जरुरत है कि आम आदमी राज्य के नेतृत्व से क्यों नाखुश है. सोनी ने कहा कि इन सभी राज्यों में एक समानता है कि जहां इस प्रकार की घटनाएं हुई हैं वहां चुनाव होने वाले हैं.
इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को याद दिलाया कि वे संवैधानिक शुचिता का उल्लंघन नहीं करें. पार्टी ने साथ ही प्रधानमंत्री के समारोहों से दूर रहने के चव्हाण तथा मुख्यमंत्रियों के फैसले को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया.
सत्तारुढ पार्टी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों से यह भी कहा कि वे जनता के बीच मोदी की ‘‘बढती लोकप्रियता से हीनभावना का शिकार न हों.’’ भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘‘ इस प्रकार की नकारात्मक राजनीति से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा. कांग्रेस मोदी के मंच को अनदेखा कर सकती है लेकिन वह उनके बेहतर शासन और विकास के मंत्र को अनदेखा नहीं कर सकती.’’ उन्होंने कहा कि अपमानजनक हार के बावजूद कांग्रेस जमीनी सच्चाइयों को देखने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘ हालिया चुनाव के बाद अपने चेहरे पर जमी धूल को साफ करने के बजाय कांग्रेस नेता आइने को साफ करने में लगे हैं.’’