जमशेदपुर: टाटा स्टील में ‘फरलो लीव’ बंद हो गया है. सुपरवाइजरों पर इसको लेकर भारी संकट देखा जा रहा है. ‘फरलो लीव’ को लेकर कंपनी में हड़कंप मच गया है. बताया जाता है कि वेज रिवीजन समझौता में ही इसका उल्लेख किया गया है, जिसको लेकर किसी तरह की स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही है.
वेज रिवीजन समझौता के 11 नंबर क्लाउज में लिखा गया है कि जो भी कर्मचारी नये बहाल होंगे, उनको किसी तरह का फरलो लीव नहीं मिलेगा. अगर कोई नया बहाल कर्मचारी प्रोमोशन होकर सुपरवाइजर बन जाता है तो भी उसको फरलो लीव को बंद नहीं किया जा सकता है. यह भी कहा गया है कि जो कर्मचारी या सुपरवाइजर पहले से यह सुविधा ले रहे हैं, उनका भी बंद किया जायेगा, लेकिन इसके बदले एकमुश्त सुविधा दी जायेगी. नये बहाल कर्मचारियों और सुपरवाइजरों के लिए छह माह के लिए नया समझौता करने को कहा गया है.
यूनियन कुछ बोलने की स्थिति में नहीं
फरलो लीव को लेकर यूनियन के कोई पदाधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. बताया जाता है कि सारे पदाधिकारी बाहर चले गये हैं और सभी ने इसको लेकर चुप्पी साध ली है. एक पदाधिकारी ने कहा है कि वे इस मुद्दे पर ज्यादा बात अभी नहीं कर सकते हैं.
अफसरों का खत्म हो चुका है फरलो लीव
इससे पहले ऑफिसरों को पैकेज देकर एक मुश्त राशि देकर फरलो लीव के सिस्टम को मैनेजमेंट बंद कर चुका है. रघुनाथ पांडेय के कार्यकाल में इसको लाया गया था, लेकिन उस वक्त श्री पांडेय ने समझौता करने से इनकार कर दिया था, लेकिन इस बार वेज रिवीजन समझौता में इस प्वाइंट को भी जोड़ दिया गया है.
क्या है फरलो लीव
सात साल में कुल तीन माह की छुट्टी सुपरवाइजरों और कर्मचारियों को मिलती है. इस 180 दिनों का पूरा वेतन कर्मचारियों को भी दिया जाता है. अगर कोई व्यक्ति आधा वेतन लेकर छुट्टी लेता है तो छह माह तक की छुट्टी दी जा सकती है. अगर कोई व्यक्ति यह लीव नहीं लेता है तो वह इस छुट्टी के बदले पैसा ले सकता है और इसको बेच भी सकता है. इससे आर्थिक लाभ भी कर्मचारियों को जरूर मिलने वाला था, लेकिन यह सुविधा छीन ली गयी.