अमलेश नंदन सिन्हा
भारतीय-इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला में भारत के खराब प्रदर्शन के बाद के बाद अटकले तेज हो गयी हैं कि कप्तान को हटाया जाना चाहिए या कोच को. पांच मैचों की श्रृंखला में भारत ने किसी भी प्रकार से पहले टेस्ट मैच को ड्रा कराया. लार्ड के मैदान पर टीम इंडिया नें एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की. 22 साल के बाद लार्ड में भारत ने जीत का परचम लहराया. इसके बाद सभी खिलाडियों का हौसला देखते ही बनता था. ऐसा लगता था लगातार दो और मैच जीतकर भारत श्रृंखला को अपने नाम करके ही दम लेगा. अभी की हार के बाद एक समय टेस्ट रैकिंग में टॉप पर रही भारतीय टीम पतन के रास्ते पर चल निकली है. ऐसा लगता है जैसे टीम इंडिया अर्स से गर्त के अंधेरें में समाने को आतुर है.
आईसीसी की रैंकिंग के अनुसार वर्तमान में भारत पांचवें स्थान पर हैं अंक तालिका में भारत पाकिस्तान के साथ खडा है. कभी भी पाकिस्तान भारत को पीछे छोड सकता है. वनडे में भारत विश्वभर में दूसरे स्थान पर है मगर हां, टी-20 में भारतीय टीम ने सभी को पीछे छोडते हुए पहले स्थान पर कब्जा कर रखा है. एक समय था कि टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग से ही किसी भी टीम की शक्ति का आकलन किया जाता था, लेकिन आज पैसे कमाने की होड में टेस्ट क्रिकेट मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया है.
पूर्व खिलाडियों का आक्रोश
टीम इंडिया की जीत के बाद तारीफों का पूल बांधने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटरों का टीम की हार के बाद अचानक हाव-भाव ही बदल जाता है. पूर्व खिलाडी इस हार से इतने व्याकुल और कुपित नजर आये कि सभी ने टीम इंडिया की जमकर आलोचना की. ऐसा नहीं होना चाहिए, वैसा नहीं होना चाहिए सहित कई प्रकार के कंमेंट्स किये जा रहे हैं.टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने टीम के खिलाडियों से कहा, ‘तुम्हें इस प्रकार भारत को शर्मिंदा नहीं करना चाहिए.’ रवि शास्त्री ने कहा, ‘अगर तुमलोग टेस्ट क्रिकट नहीं खेलना चाहते तो क्रिकेट छोड देनी चाहिए.’
पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने रविन्द्र जडेजा का छक्का मारने की कोशिश में आउट होने पर कंमेंट किया कि हे भगवान क्या यें टेस्ट क्रिकेट मैच खेल रहे हैं.गायकवाड़ ने कहा, मैं अतीत में कोच रहा हूं और कोच को इन चीजों गौर करना चाहिए और इनमें सुधार करना चाहिए. मुझे नहीं पता कि क्या गलत हो रहा है. अगर कोच उन्हें कह रहा है और यह काम नहीं कर रहा है तो इसका मतलब है कि खिलाडी सुन नहीं रहे. अगर ऐसा है तो फिर कोच रखने की जरुरत ही क्या है.
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई टेस्ट मैचों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है तथा टेस्ट मैचों के बीच कोई अभ्यास मैच नहीं रखने के कारण भारत को इंग्लैंड के हाथों श्रृंखला में 1-3 से हार झेलनी पड़ी.
टीम में खिलाडियों का चयन
भारतीय टीम में खिलाडियों का चयन कई बार विवादों में रहा है. हाल ही में एक बेहतर खिलाडी को टीम से बाहर रखने पर कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी पर कई सवाल उठाये गये थे. हाल ही में कहा गया था कि बीसीसीआई की ओर से धौनी का कुछ ज्यादा ही सहूलियतें प्रदान की जा रही है. बोर्ड में धौनी ने इतना पैठ जमा लिया है कि किसी भी श्रृंखला से पहले खिलाडियों के चयन में इसकी काफी सुनी जाती है. इसका फायदा धौनी अपने पसंदीदा खिलाडियों को टीम में शामिल कर उठाते हैं. पहले टेस्ट और वनडे टीम में काफी अंतर नजर आता था, लेकिन अब इस अंतर को पाटने का काम किया जा रहा है और दोनों की प्रकार की मैचों में एक ही चेहरे मैदान में देखने को मिलते हैं.
दिखती है लापरवाही
मैदान में कई खिलाडियों की ओर से लापरवाही का आलम आजकल आम हो गया है. क्रिकेट को ग्लैमर के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा है. इससे क्रिकेटरों को ज्यादा समय सूटिंग में बीतता है और वे अभ्यास पर उतना ध्यान नहीं देते. कई खिलाडी ऐसे भी हैं जो अभी नेट अभ्यास में नहीं आते तों कभी देर से आते हैं. ऐसे खिलाडियों को भी टीम में काफी तरजीह दी जाती है और उन्हें जल्द ड्राप नहीं किया जाता. जिससे उनकी लापरवाही दिनोदिन बढती जाती है. अभ्यास में इतनी बडी लापरवाही कैसे बीसीसीआई बरदास्त करता है.
टेस्ट क्रिकेट के लिए प्रतिभा की कमी
मौजूदा भारतीय टीम में शामिल खिलाडियों में टेस्ट क्रिकेट खेलने की कुबत नहीं है. मौजूदा खिलाडियों में जोश तो है परंतु होश और अनुभव की घोर कमी है. खिलाडी घरेलू मैदानों पर केवल नोट छापने वाले टी-20 जैसे टूर्नामेंट के इतने आदि हो चुके हैं कि उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि टेस्ट मैच में 20 से ज्यादा ओवरों तक खेलना पडता है. अबर हम वनउे की बात करें तब भी भारतीय टीम और कप्तान हमेशा चमत्कार के इंतजार में नजर आते हैं. टेस्ट क्रिकेट में एक समय अनुभवी खिलाडियों की मौजूदगी में टीम इंडिया की शाख काफी अचछी थी और रैंकिंग भी नंबर वन था. हालांकि अभी भी भारतीय टीम टी-20 में पहने नंबर पर ही है.
आखिर क्यों फ्लॉप रहा शीर्ष क्रम
भारत-इग्लैंड टेस्ट श्रृंखला में भारत का शीर्षक्रम ने काफी खराब प्रदर्शन किया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय टीम टेस्ट मैचों के लिए कितना फिट है. किसी भी प्रतिष्ठित टीम के चार बल्लेबाजों का कई मैचों में सस्तें में निपटना मध्यम क्रम को इतना प्रेशर में ले जाता है कि उससे उबरना टेस्ट मैचों में आसान नहीं है. अब सवाल यह है कि भारतीय टीम का शीर्ष क्रम इतना गैर जिम्मेदाराना प्रदर्शन कैसे कर सकता है.
टीम इंडिया के गेंदबाज भी इस श्रृंखला में काफी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये. सभी स्तर पर गेंदबाज फ्लॉप रहें, कभी भी गेंदबाजों का खौफ बल्लेबाजों के चेहरों पर नजर नहीं आया. एक समय था जब भारतीय टीम दुनिया के किसी भी स्पिनर को काफी बेहतरीन ढंग से खेलने के लिए जाना जाता था. कई मशहूर स्पिनर भारतीय बल्लेबातों के लिए गेंदबाजी करने से कतराते थे. वहीं आज भारतीय टीम के धुरंधर मोइन खान जैसे पार्ट टाइम स्पिनर के सामने घुटने टेक दिये.
कप्तान धौनी की भूमिका
अभी की हार और वर्तमान में भारतीय टीम की रैंकिंग को लेकर कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी सबके निशाने पर हैं. पूर्व क्रिकेटरों सहित मीडिया और विशेषज्ञ भी कप्तान धौनी को ही हार का जिम्मेवार मानते हैं. धौनी आरंभ से अपनी कप्तानी में प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं. कई बार उनका प्रयोग सटीक साबित होता है और कुछ बार उन्हें मुंह की खानी पडती है. ऐसे में उन्हें आलोचना के साथ प्रशंसा भी सुनने को मिलती है.
वैसे देखा जाये तो धौनी ने शुरुआती दौर के बाद से लगातार अपने और टीम के प्रदर्शन में सुधार लाने का प्रयास किया है. अपने प्रदर्शन में सुधार लाने में तो वे कामयाब हुए हैं लेकिन टेस्ट के स्तर पर टीम के प्रदर्शन में सुधार नहीं ला पाये हैं. विशेषज्ञों की मानें तो धौनी की इसमें ज्यादा गलतियां नहीं है. मौजूदा परिस्थिति यह है कि भारतीय टीम में धौनी से सीनियर कोई ऐसा खिलाडी शामिल ही नहीं है जो धौनी को सही सलाह दे सके. साथ ही कई खिलाडियों को बार-बार मौका दिया जा रहा है.
… तो सहवाग को क्यों नहीं बुलाते
अब सवाल यह है कि जब बाकी खिलाडियों को बार-बार मौका दिया जा रहा है तो विस्फोटक बल्लेबाज विरेन्द्र सहवाग को क्यों नहीं बुलाया जा रहा है. सहवाग में वनडे और टी-20 के अलावे टेस्ट खेलने की भी काबलियत है. पूर्व में कई मैदान टेस्ट क्रिकेट में सहवाग के विस्फोटों के गवाह बनें है. इतना ही नहीं सहवाग ने ना केवल विस्फोटक बल्लेबाजी की बल्कि काफी समय तक पिच पर टिकें रहकर अपने आलोचकों को भी करारा जवाब दिया है. अगर कप्तान सभी खिलाडियों को मौका दे रहे हैं तो उन्हें विरेन्द्र सहवाग को भी मौका देना चाहिए था.