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निर्मल भारत अभियान का सच: एक भी गांव खुले में शौच से मुक्त नहीं

देवघर: केंद्र सरकार का निर्मल भारत अभियान देवघर जिले में जागरुकता की कमी के कारण धरातल पर नहीं दिख रहा. देवघर में वित्तीय वर्ष 2012-13 से निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय का प्रयोग करने के लिए प्रचार-प्रसार शुरू हुआ था. इसमें ग्लोबल सेनिटेशन फंड संस्था को जागरुकता का दायित्व दिया गया था. इसके बाद […]

देवघर: केंद्र सरकार का निर्मल भारत अभियान देवघर जिले में जागरुकता की कमी के कारण धरातल पर नहीं दिख रहा. देवघर में वित्तीय वर्ष 2012-13 से निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय का प्रयोग करने के लिए प्रचार-प्रसार शुरू हुआ था.

इसमें ग्लोबल सेनिटेशन फंड संस्था को जागरुकता का दायित्व दिया गया था. इसके बाद वित्तीय वर्ष 2013-14 से निर्मल भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण का कार्य शुरू हुआ. 2013-14 में जिले भर में कुल 25,000 शौचालय निर्माण का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन महज 2100 शौचालय ही तैयार हो पाया. चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में इस बार 20 पंचायतों में करीब 300 गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है.

इन दो वर्षो में करोड़ों की राशि शौचालय निर्माण व जागरुकता में खर्च हो चुकी है. लेकिन अब तक एक भी गांव खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है. अब छह माह में 20 पंचायतों के 300 गांव किस प्रकार खुले में शौचालय से मुक्त होगा, यह पीएचइडी के कार्य व संस्था की कागजी जागरुकता का आंकड़ा ही बयां कर रही है. जिन जगहों पर शौचालय तैयार हो गया है, वहां भी लोग जागरुकता की कमी के कारण शौचालय का प्रयोग नहीं कर रहे हैं. अधिकांश लोग खुले में शौच जाते हैं. निर्मल भारत अभियान में पीएचइडी जिन गांवों में शौचालय निर्माण कार्य को बेहतर समझकर अपना पीठ थपथपा रही है, वहां भी धरातल में स्थिति कुछ अलग ही है. अधिकांश गांवों में शौचालय का निर्माण कई माह से अधूरा पड़ा है. लाभुकों को निर्मल भारत अभियान के तहत पूरी राशि तक नहीं मिली है.

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