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असफलताओं से बेहतर खिलाड़ी बनेंगे विराट

।। हर्षा भोगले ।। मुझे पूरा भरोसा है कि आनेवाले सालों में विराट कोहली जब पीछे मुड़ कर इंग्लैंड के इस दौरे पर नजर डालेंगे, तो उन्हें यह अपने कैरियर का टर्निंग पॉइंट लगेगा. इस टेस्ट के दूसरे दिन तक के खेल पर नजर डालें, तो सामान्य तौर पर यह दौरा उनके लिए भूल जानेवाला […]

।। हर्षा भोगले ।।

मुझे पूरा भरोसा है कि आनेवाले सालों में विराट कोहली जब पीछे मुड़ कर इंग्लैंड के इस दौरे पर नजर डालेंगे, तो उन्हें यह अपने कैरियर का टर्निंग पॉइंट लगेगा. इस टेस्ट के दूसरे दिन तक के खेल पर नजर डालें, तो सामान्य तौर पर यह दौरा उनके लिए भूल जानेवाला साबित हुआ है. थोड़ा और सख्त होकर कहा जाये, तो आमतौर पर ऐसे दौरों के बाद कई कैरियर खत्म भी हो जाते हैं, लेकिन कोहली की बात करें, तो उनके लिए यह बेहद अहम दौर है. मगर शीर्ष खिलाड़ी कभी इस तरह से नहीं सोचते. वे हिम्मत नहीं हारते और किसी और प्रोफेशन में कैरियर बनाने का विचार मन में नहीं लाते.

बल्कि वे इन कटु अनुभवों से सीखते हैं, खुद से मुश्किल सवाल पूछते हैं. अपनी कमजोरियों की पहचान करते हैं और मजबूती के साथ वापसी करते हैं. मुझे इस बात में बहुत कम संदेह है कि इस दौरे के बाद कोहली भी एक बेहतर खिलाड़ी के तौर पर मजबूत वापसी करेंगे. 1999 में जब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था, तब राहुल द्रविड़ ने कहा था कि असफलताओं ने उन्हें बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद की. आनेवाले सालों में अगर विराट कोहली भी यही बात दोहराते नजर नहीं आयें, तो मुझे आश्चर्य होगा. अभी से कोहली काफी विनम्र हो चुके हैं.

उस छवि से बिल्कुल अलग जो हमने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद वाले कोहली की देखी थी. विनम्रता के अर्थ को मैदान में उनकी असफलता से मत जोडिए. बल्कि वास्तव में यह वो स्थिति है जब आप अपनी असफलताओं को स्वीकार करना शुरू कर देते हैं. आप यह स्वीकारते हैं कि आप अभी भी पूर्ण नहीं है, कुछ अधूरा है आपके भीतर. और फिर आप उस कमी में सुधार के प्रयास करते हैं

इस दौरे से मिला अनुभव कोहली को जीवन की वास्तविकता से वाकिफ कराएगा और वह आगे आने वाली हर चुनौती का डटकर सामना करने के लिए खुद को अच्छी तरह तैयार कर सकेंगे. इसके बाद वह निश्चित रूप से एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में हमारे सामने होंगे. साथ ही जब वह टीम की अगुआई करेंगे तब दूसरे खिलाडियों की असफलता का दौर और दर्द भी वह समझ सकेंगे. फिर जब सफलता वापस उनके कदम चूमेगी तब वह खुद को पहले से कहीं अधिक भाग्यशाली समझेंगे.

अच्छे खिलाड़ी एक रात में खराब नहीं हो जाते. हां, यह अलग बात है कि कभी कभार वह आत्मविश्वास खो बैठते हैं, लेकिन वह खराब नहीं हो जाते. हम सभी को यह बताने के लिए कोहली काफी कुछ कर चुके हैं कि वह कितने बेहतरीन क्रि केटर हैं. वह खुद भी यह बात जानते हैं और इसीलिए उन्हें घंटों अपनी समस्याओं को सुलझाने के प्रयास करने होंगे. इस दौरान उन्हें यह भी महसूस होगा कि इस स्थिति में पड़ने वाले वे पहले क्रिकेटर नहीं हैं बल्कि उनसे बेहतर खिलाड़ी भी इस तरह के खराब दौर का सामना कर चुके हैं.

एक तरह से आप यह भी कह सकते हैं कि रॉयल चैलेंजर्स बंगलोर का चैंपियंस लीग के लिए क्वालीफाई न कर पाना व्यक्तिगत रूप से उनके लिए अच्छा ही है. इससे उन्हें खेल से दूर रहकर अपनी बल्लेबाजी के बारे में गहराई से सोचने का समय मिल पाएगा. वनडे क्रि केट खेलना भी बुरा विचार नहीं है, यह उनके लिए आसान भी होगा और यहां अच्छा प्रदर्शन करने पर उनका डगमगाया आत्मविश्वास भी लौटेगा. विराट अभी भी विशेष खिलाड़ी हैं जिन्हें बेहद कड़ा सबक सीखने को मिल रहा है.

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