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लखनउ : नदियों ने मचायी तबाही, सैकडों गांव, लाखों की आबादी बाढ से घिरी, 10 मरे

लखनउ : नेपाल की नदियों में आयी बाढ उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कहर बनकर टूटी है. घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती और बूढी राप्ती में अचानक बढे पानी से सैकडों गांवों में तबाही का मंजर है और लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित है.सैलाब का असर सडक तथा रेल यातायात पर भी पडा है […]

लखनउ : नेपाल की नदियों में आयी बाढ उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कहर बनकर टूटी है. घाघरा, सरयू, शारदा, राप्ती और बूढी राप्ती में अचानक बढे पानी से सैकडों गांवों में तबाही का मंजर है और लाखों की आबादी बुरी तरह प्रभावित है.सैलाब का असर सडक तथा रेल यातायात पर भी पडा है और बाढ में फंसे लोगों की मदद के लिये सशस्त्र सीमा बल तथा पीएसी को तैनात किया गया है.

पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ से संबंधित हादसों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गयी.केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कल श्रवस्ती के काकरधारी और भिनगा में जलस्तर में रिकार्ड तोड वृद्धि दर्ज कराने वाली राप्ती नदी अब बलरामपुर में बाढ के उच्चतम स्तर को पार कर गयी है तथा इसका जलस्तर लगातार बढ रहा है. यही हाल घाघरा का एल्गिनब्रिज (बाराबंकी) में भी है जहां इसका जलस्तर अब भी बाढ के उच्चतम स्तर के नजदीक बना हुआ है.

शारदा नदी पलियाकलां (खीरी) में, घाघरा नदी अयोध्या में जबकि बूढी राप्ती नदी ककरही (सिद्धार्थनगर) में खतरे के निशान से उपर बह रही है.बहराइच से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की भादा, कौडियाला और गेरुआ में बाढ आने से बहराइच की घाघरा तथा सरयू नदी और श्रवस्ती में राप्ती नदी का जलस्तर कल बहुत बढ गया.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बहराइच में एक भाई-बहन समेत चार लोगों की जबकि श्रवस्ती में तीन लोगों की बाढ के पानी में डूबने तथा दीवार ढहने की घटनाओं में मौत हो गयी.

सूत्रों के मुताबिक नानपारा और महसी तहसील के 250 मकान ढह गये हैं तथा 95 झोपडियां बह गयी हैं. इन तहसीलों के 103 गांवों के 546 मजरे की करीब ढाई लाख की आबादी बाढ से प्रभावित हुई है. श्रवस्ती में भी करीब 200 मजरे बाढ से प्रभावित हैं. वहां आजादी के बाद सबसे भीषण बाढ 1969 में आयी थी. इस बार पानी उससे भी ज्यादा है.

सूत्रों के मुताबिक बहराइच में कल शाम गोरखपुर से पहुंचे राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 42 सदस्यीय दल ने सर्वाधिक प्रभावित नानपारा और महसी तहसील में राहत और बचाव कार्य शुरु किया है. जिला प्रशासन ने राहत और बचाव के लिये हेलीकाप्टरों की मांग की है. अचानक आयी बाढ के कारण सम्पर्क कटने की वजह से अनेक लोग लापता हैं.

गोंडा-मैलानी रेल प्रखण्ड पर नानपारा में कल से रेल यातायात रुक गया है जो आज सुबह तक शुरु नहीं हो सका था. हालांकि आज पानी घटना शुरु हो गया है इसलिये शाम तक रेल यातायात शुरु होने की उम्मीद है.

बहराइच को श्रवस्ती से जोडने वाला भिनगा-बहराइच मार्ग का करीब 200 मीटर हिस्सा नदी की धारा में कटकर बहने के बाद दोनों जिलों का सम्पर्क कट गया है. कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार में गेरुआ नदी की बाढ से वन्यजीवों पर जान का संकट गहरा गया है.

बलरामपुर से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक जिले की सभी तीन तहसील तुलसीपुर, बलरामपुर और उतरौला राप्ती नदी की बाढ की चपेट में हैं.इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित तुलसीपुर और बलरामपुर के करीब 150 गांव बाढ के पानी से घिर गये हैं. इससे करीब दो लाख से ज्यादा की आबादी के लिये मुसीबत खडी हो गयी है. पिछले 24 घंटे के दौरान बाढजनित हादसे में एक व्यक्ति के मरने की खबर है.

बलरामपुर-बढनी राष्ट्रीय राजमार्ग बाढ का पानी भर जाने के कारण बंद कर दिया गया है, जिससे वाहनों की लम्बी-लम्बी कतारें लगी हुई हैं. बलरामपुर जिला मुख्यालय से बाकी इलाकों का सम्पर्क पूरी तरह कट गया है.

अपर जिलाधिकारी केशव दास ने बताया कि बाढ से राहत और बचाव कार्य के लिये सशस्त्र सीमा बल तथा पीएसी को तैनात किया गया है. उनकी मदद के लिये चार स्टीमर इस्तेमाल किये जा रहे हैं. लोग अपने घरों की छतों पर पनाह लेने को मजबूर हैं.

लखीमपुर खीरी से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक जिले की धौरहरा तहसील के करीब 60 गांवों में घाघरा का पानी भर गया है. मांझा सुमाली गांव में लोगों ने स्कूल में शरण ले रखी है. यह गांव चारों तरफ से पानी से घिरा है. यही स्थिति मिलक गांव में भी है.

तहसीलदार अशोक कुमार यादव ने बताया कि जिले के मांझा सुमाली, ओझापुरवा, कैरातीपुरवा, फिरोजाबाद, हटवा तथा मटपुरवा, पकरियापुरवा, मचनापुर, मिलक, इगौढी समेत करीब 15 गांवों की 26 हजार की आबादी बाढ में फंसी है. लगभग आधा दर्जन गांव ऐसे हैं जिनका सम्पर्क जिले के बाकी हिस्सों से पूरी तरह कट गया गया है.

हालांकि ओझापुरवा के ग्राम प्रधान लक्ष्मण साहू के मुताबिक बाढ से करीब 60 गांव प्रभावित हैं जहां राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं.यादव ने बताया कि नेपाल की नदियों में बाढ के कारण गिरिजा बांध से छोडे गये पानी की बाढ से प्रभावित लोगों के राहत तथा बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ की टीम तैनात की गयी है. प्रभावित लोगों तक भोजन इत्यादि पहुंचाया जा रहा है.

सूत्रों के मुताबिक जिले में बाढजनित हादसों में दो लोगों के मरने की सूचना है. बाराबंकी से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक घाघरा ने रामनगर तथा सिरौली गौसपुर क्षेत्र में विकराल रुप दिखाना शुरु कर दिया है. नेपाल की नदियों में उफान के बाद बांधों से करीब 10 लाख क्यूसेक पानी छोडे जाने की वजह से घाघरा ने कहर बरपाना शुरु कर दिया है. उसकी बाढ से तराई क्षेत्र के करीब 75 गांव प्रभावित हुए हैं.

बडी संख्या में लोग घाघरा के बंधे पर शरण लिये हैं. प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिये नौकाएं लगायी गयी हैं.

उपजिलाधिकारी पी. पी. पाल ने बताया कि प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य के लिये पीएसी तैनात की गयी है. सेना से भी बात की गयी है. जरुरत पडने पर तुरन्त सहायता उपलब्ध करायी जाएगी.

इस बीच, सिद्धार्थनगर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नेपाल की नदियों की बाढ से जिले के आठ नदी-नाले उफान पर हैं.

सोतवा नाले के उफान की वजह से दर्जनों गांव बाढ के पानी से घिर गये हैं. इसके अलावा कूरा नदी का जलस्तर बढने से दोआबा क्षेत्र में बडी संख्या में गांव सैलाब से प्रभावित हैं तथा सैकडों हेक्टेयर धान की फसल डूब गयी है. प्रभावित गांवों में राहत और बचाव कार्य जारी है.

नेपाल में भारी बारिश के कारण पानी छोडे जाने की वजह से बाणगंगा, राप्ती और कूरा नदियों का जलस्तर लगातार बढ रहा है. बाणगंगा की बाढ से छह मकान ढह गये हैं. जिला प्रशासन ने सभी बाढ राहत केंद्रों को खोलने के निर्देश दिये हैं.

बाणगंगा बांध से सेमरा माइनर में बाढ का पानी घुस जाने से नहर का लगभग 100 मीटर हिस्सा कट गया है जिससे धान की फसल डूब गयी है और गोल्हौरा मुस्तहकम-लेदवा सम्पर्क मार्ग भी डूब गया है.

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