देवघर: कहते हैं प्रतिभा बड़े शहरों में ही नहीं, गांवों में भी है. गांव के छात्र भी छोटे शहर और फिर अपनी प्रतिभा के बल पर मेट्रो शहरों में शैक्षणिक योग्यता हासिल कर सकता है. ऐसे ही एक प्रतिभावान छात्र हैं साकेत मालवीय. जिनका जन्म बिहार के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत महुली जैसे छोटे से गांव में हुआ. वहीं से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की. उसके बाद वे इंटर और ग्रेजुएशन के लिए देवघर आ गये.
देवघर कॉलेज देवघर से उन्होंने ग्रेजुएशन अर्थशास्त्र ऑनर्स पास किया. इस दौरान उन्होंने एमए में दाखिले के लिए जेएनयू में प्रवेश परीक्षा पास की और जेएनयू से अर्थशास्त्र से ही एमए और उसके बाद एम फिल किया. 2013 में उन्होंने आइइएस की परीक्षा में देश में पहला स्थान प्राप्त किया. इसी दौरान वे सिविल सर्विस परीक्षा में बैठे और पहली बार में ही देश में 20वां रैंक प्राप्त किया. प्रभात खबर देवघर दफ्तर में उन्हें सम्मानित किया गया. कैसे उन्होंने छोटे से गांव से निकल इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की. प्रस्तुत है उनसे बातचीत के मुख्य अंश :
कैसे छोटे से गांव में पढ़कर इतने बड़े सपने को पूरा किया, प्रेरणास्रोत कौन हैं?
बचपन से ही गांव में लोग कहा करते थे कि यहां का बेटा या बेटी पढ़-लिखकर आइएएस, आइपीएस बनता. पिताजी की भी शुरू से ही यही इच्छा थी. यही छोटी-छोटी बातें, मेरे मस्तिष्क को प्रभावित किया. शुरू में ही मैट्रिक में काफी मेहनत की. बिहार में टॉप टेन में रहा. फिर देवघर आ गया. पुस्तक मेला और अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों मे शिरकत करता था. लाइब्रेरी में पढ़ता था. इंटर-ग्रेजुएशन देवघर से ही किया. देवघर जिला मुख्यालय ने मेरे सपने को पंख दिया. मैंने जेएनयू से एमएम और एम फिल की पढ़ाई की. और पहली बार में ही सफलता पायी.
सिविल सर्विसेज के लिए झारखंड-बिहार का माहौल उपयुक्त है?
देखिये, बिहार-झारखंड में परिवेश नहीं है. यहां के छात्र दूसरे राज्यों में पढ़कर अच्छा कर रहे हैं. यहां संसाधन की कमी है. अच्छे शिक्षण संस्थान, प्रतियोगिता की तैयारी कराने वाले संस्थान नहीं हैं. पटना व रांची यूनिवर्सिटी के कॉलेजों का माहौल एकेडेमिक नहीं है, पॉलिटिकल माहौल अधिक है. यूनिवर्सिटी में सत्र नियमित हो. छात्रों का वर्ष बरबाद न हो. लेकिन जो छात्र गोल हासिल करने चाहते हैं उन्हें नॉलेज गेन करने की शुरुआत तो आप जहां पढ़ रहे हैं, वहां से भी कर सकते हैं.
सिविल सर्विस के लक्ष्य को पाने के लिए शुरुआत कैसे करेंगे?
इंटर, ग्रेजुएशन के समय से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें. सिविल सर्विस के लिए ग्रास रूट स्तर से ही तैयारी करनी होगी. न्यूज पेपर, मैगजीन पढ़ना शुरू कर दें ये आपका नॉलेज बैंक बनेगा और आपके बैक ग्राउंड को तैयार करेगा. जिस विषय पर पकड़ है, उसे सिविल सर्विस परीक्षा में रख सकते हैं.
आपकी तैयारी में अहम भूमिका किसकी रही?
मेरी सिविल सर्विस की तैयारी हो या आइइएस की परीक्षा की तैयारी, मेरे गोल को दिशा देने में प्रभात खबर का अवसर और विशेषांक के आर्टिकल ने अहम भूमिका निभायी. अवसर ज्यादा सूचनात्मक था. जब पढ़ता था तो अवसर का बेसब्री से इंतजार रहता था. वीजन तय करने में अवसर उपयोगी है.
अपने इलाके में सेवा का मौका मिला तो क्या-क्या करेंगे?
अपने इलाके में सेवा का मौका मिला तो तीन काम प्राथमिकता के आधार पर करना चाहूंगा. एक तो छोटे गांवों को मेन रोड से कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे, दूसरा, गांवों तक बिजली रहे क्योंकि आज के समय में इंटरनेट, मोबाइल आदि के लिए यह नितांत जरूरी है. तीसरा, हर गांव में नहीं तो कम से कम हर प्रखंड मुख्यालय में अच्छी लाइब्रेरी की स्थापना करना चाहूंगा ताकि जो दिक्कत मैंने ङोली है, उसे मेरे रहते आनेवाली पीढ़ी न ङोले.