नयी दिल्ली : भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न नहीं दिया जाएगा? मंगलवार को एक बार खबर आई की ध्यानचंद को भारत रत्न दिये जाने के लिए गृह मंत्रालय ने पीएमओ के पास सिफारिश के लिए भेज दी है. इस खबर के बाद लगा कि चलो अब दादा को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह मिल जाएगा. लेकिन क्या देर शाम खबर आयी कि सरकार ने सिफारिश की बात से इनकार कर दिया.
संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडु और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया है कि मोदी सरकार ने फिलहाल किसी के लिये भी भारत रत्न की सिफारिश नहीं की है. गौरतलब है कि गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू के संसद में दिये बयान के बाद गलतफहमी हो गयी थी. गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश आई थी. जिसे गृह मंत्रालय ने आगे बढा लिया है. लेकिन वे यह बताना भूल गये थे कि यह सिफारिश पिछली सरकार के वक्त की है.
* ध्यानचंद ने हॉकी को दिया पहचान
मेजर ध्यानचंद ही ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने हॉकी इंडिया को एक अलग पहचान दिलायी. हॉकी भले ही भारत का राष्ट्रीय खेल है लेकिन अभी भी हॉकी में भारत ने कोई ऐसा कारनामा नहीं किया है जिससे उसे लोग याद रख सके. लेकिन इस सुखाड़ में भी मेजर ध्यानचंद ने अपनी जादूगरी से न केवल देश बल्कि विदेशों में भी भारत का डंका बजाया. लोग हॉकी को ध्यानचंद के जरिये जानने लगे.
* भारत को दिलाया तीन बार ओलम्पिक में स्वर्ण
हॉकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने भारत को तीन बार ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाया. ध्यानचंद 1928 में एम्सटर्डम,1932 में लॉस एंजेल्स और 1936 में बर्लिन ओलम्पिक में भारतीय टीम के सदस्य रहे. 1932 के दौर में ध्यानचंद ने भारतीय टीम की ओर से खेलते हुए 101 गोल कर सबको चौका दिया था. लॉस एंजेल्स में खेले गये ओलम्पिक में मेजर ध्यानचंद की अगुआई में भारतीय टीम ने अमेरिका को 24-1 से रौंद दिया था.
* ध्यानचंद पर जादुई स्टीक से खेलने का आरोप
मेजर ध्यानचंद जब मैदान में होते थे तो उनके अलावे किसी की कुछ नहीं चलती थी. बॉल उनके कब्जे में आते ही स्टीक से इस कदर चिपक जाती थी कि लोगों को शक होने लगता था कि ध्यानचंद कोई जादुई स्टीक से खेलते हैं.
* चुंबक लगे होने की आशंका के कारण तोड़ दी गयी थी स्टीक
गौरतलब हो कि मेजर ध्यानचंद के खेल और उनके स्टीक में बॉल को देखकर लोग हैरान हो जाते थे. एक बार तो हॉलैंड में उनके हॉकी स्टीक को तोड़ दिया गया था. लोगों को लगने लगा था कि कहीं उनके स्टीक में कोई चुंबक तो नहीं लगा हुआ है. और इसी आशंका के मद्देनजर स्टीक को तोड़ दिया गया.
बहरहाल हॉकी को शिखर तक ले जाने वाले ध्यानचंद को आज भारत रत्न देने में सरकार को क्यों इतना सोचना पड़ रहा है.ध्यानचंदने सरहद से लेकर हॉकी के मैदान तक भारत का नाम रौशन किया.