पटना : नवनियुक्त 496 ग्रामीण विकास पदाधिकारियों को सीधे प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) के पद पर पदस्थापित किया गया है. उनका पदस्थापन 15 अगस्त तक प्रखंडों में कर दिया जायेगा. इनकी सेवा शर्तो में तीन वर्षो की छूट दी गयी है.
इन्हें राजपत्रित पदाधिकारी घोषित कर दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने हर बीडीओ को उनके प्रखंड कार्यालय के भवनों के रखरखाव व आवास के लिए सालाना 10 लाख रुपये खर्च करने की वित्तीय शक्ति दी है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नवनियुक्त प्रखंड विकास पदाधिकारियों के उन्मुखी कार्यक्रम में यह घोषणा की.
उन्होंने कहा कि जो ग्रामीण विकास पदाधिकारी तीन वर्षो के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी के रूप में नियुक्त किये जाते, उनकी सेवा शर्तो में तीन वर्षो की छूट दी गयी है. उनकी प्रोन्नति के भी व्यापक अवसर हैं. मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि ग्रामीण विकास की मूल प्रशासनिक तंत्र प्रखंड है और प्रखंडों के कार्यो की गुणवत्ता में कमी आयी है.
मांझी को भी बिजली बिल कम कराने के लिए देनी पड़ी थी घूस
सरकारी महकमे में जड़ जमाये घूसखोरी से मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का भी साबका हुआ था. मांझी ने घूस देकर 25 हजार रुपये का बिजली बिल पांच हजार रुपये में निबटा दिये थे. इसका खुलासा खुद मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में किया. इस उदाहरण के जरिये उन्होंने नव नियुक्त बीडीओ को ईमानदारी से काम करने व जनता से जुड़ कर विकास पर ध्यान देने का सुझाव दिया.
मांझी ने कहा, गया में मेरे एक पड़ोसी थे, जो मीटर रीडरों की मदद से बिजली की चोरी करते थे. जितने का बिजली बिल आता था, उससे काफी कम वे भुगतान करते थे. पड़ोसी ने राजस्व चोरी का तरीका उन्हें बताया. मांझी ने खुद के बिजली बिल के भुगतान में इस तरीके का उपयोग किया. 25 हजार रुपये का बिजली बिल पांच हजार रुपये में निबट गया.
इसके एवज में उन्हें एक अधिकारी को घूस देने पड़े. उन्होंने बताया कि बिजली बिल में घूसखोरी को लेकर जब उन्होंने अधीक्षण अभियंता को बताया तो उन्होंने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया. इसके बाद संबंधित अधिकारी के खिलाफ एसआइटी की छापेमारी करायी गयी. उसके घर से करोड़ों की अवैध संपत्ति मिली. मांझी ने बड़े साफगोई से कहा कि बैंक, थाना हर जगह बिचौलिये पैदा हो गये हैं.