नयी दिल्ली: सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी एमटीएनएल का नवरत्न का दर्जा एक साल के लिए बढा सकती है. यह कदम संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी को फिर से खडा करने के प्रयासों के तहत उठाया जा सकता है. सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनियों को पूंजीगत खर्च, इक्विटी निवेश, सांगठनिक पुनर्गठन, घरेलू पूंजी बाजार से ऋण जुटाने व अंतरराष्ट्रीय बाजार से कर्ज लेने आदि के मामलों में अधिक अधिकार होते हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की 17 नवरत्न कंपनियों में एचपीसीएल, बीपीसीएल, आरआईएनएल व एनएमडीसी शामिल हैं.
सालाना समीक्षा के बाद दिया जाता है दर्जा
सूत्रों ने बताया कि लोक उपक्रम विभाग (डीपीई) के सचिव कुसुमजीत सिद्धू की अगुवाई वाली अंतर मंत्रलयी समिति की कल हुई बैठक में एमटीएनएल को नवरत्न के दर्जे सहित अन्य मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ. समिति नवरत्न कंपनियों की सालाना समीक्षा करती है. यदि संबंधित कंपनी नवरत्न के दर्जे को पूरा नहीं करती है और डीपीई द्वारा तय शर्तों पर खरी नहीं उतरती है, तो यह उसका नवरत्न दर्जा वापस लेने की सिफारिश करती है.
पुनरोद्धार नीति के तहत दर्जे का विस्तार
सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग एमटीएनएल के नवरत्न दर्जे को विस्तार के पक्ष में है, क्योंकि इससे न केवल उसके पुनरोद्धार में मदद मिलेगी, बल्कि कंपनी प्रबंधन को ऋण या अन्य मार्गों के जरिये बाजार से धन जुटाने में भी मदद मिलेगी.समिति ने बाजार स्थिति के हिसाब से भी एमटीएनएल के नवरत्न दर्जे पर विचार किया.
एमटीएनएल बंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध है और अधिकारियों को आशंका है कि यदि इसके नवरत्न दर्जे का विस्तार नहीं किया जाता है तो बाजार में इसकी स्थिति खराब हो सकती है. यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जबकि सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की इस इकाई को फिर से खडा करने का प्रयास कर रही है.जून में दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बीएसएनएल व एमटीएनएल के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ बैठक के दौरान उनके पुनरोद्धार की रुपरेखा पर विचार किया.
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