छह महीने के गैमी को अस्पताल में दुलारने वालों की कमी नहीं है. और न ही आप उसे देख कर यह कह सकते हैं कि वो औरों से अलग है. लेकिन सच इसके उल्ट है.
वो जन्म से ही हृदय की समस्या और फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित है. साथ ही उसे डाउंस सिड्रोम नाम की गंभीर बीमारी भी है.
ये बीमारी न सिर्फ आगे चल कर उसके सीखने और समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है बल्कि उसके शारीरिक विकास पर भी इसका असर होगा.
गैमी को जन्म दिया है 21 वर्ष की एक थाई महिला पाथारोमोन ने. लेकिन एक ऑस्ट्रेलियाई दंपति के लिए. जिन्हें बच्चे की चाहत थाईलैंड खींच लाई थी लेकिन गैमी को वो उसे अपने साथ नहीं ले गए.
पाथारोमोन कहती हैं कि उन्होंने तो गैमी को छोड़ दिया पर वो नहीं छोड़ेंगी.
वो कहती हैं, "इस बच्चे की भला क्या गलती है कि वो ये सब झेले. उसे भला क्यों छोड़ दिया जाए, जबकि अन्य बच्चे की देखभाल हो रही है. ये नौ महीने मेरे पेट में रहा है, और ये मेरे बच्चे की तरह है."
जिस अन्य बच्चे की बात पाथारोमोन कर रही हैं, वो गैमी की जुड़वा बहन है जिसे ऑस्ट्रेलियाई दंपति अपने साथ ले गए. इस दंपति का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि जिस बच्ची को वो अपने साथ लाए, उसके साथ उसका कोई जुड़वा भाई भी पैदा हुआ था.
हालांकि पाथारोमोन का आरोप है ऑस्ट्रेलियाई दंपति को सब कुछ मालूम था.
‘सरोगेसी कारोबार में खामियां’
वो कहती हैं, "गर्भावस्था के सातवें महीने में एजेंसी के लोगों ने मुझे फोन किया और कहा कि बच्चे के माता पिता चाहते हैं कि गर्भपात करा दिया जाए क्योंकि उसे डाउंस सिंड्रोम है. मैंने कह दिया कि वो सात महीने का हो चुका है, इसलिए मैं ऐसा नहीं कर सकती."
इस पूरे मसले पर ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट कहते हैं, "मुझे लगता है कि इससे पता चलता है कि सरोगेसी के कारोबार में किस तरह की खामियां हैं. ये मामला बहुत ही दुखदायक है."
पाथारोमोन कहती हैं कि वो बच्चे के इलाज का खर्च नहीं उठा सकती लेकिन वो उसकी देखभाल करती रहेंगी. हालांकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार का कहना है कि गैमी को ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता मिल सकती है, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया में उसका मुफ़्त इलाज भी हो सकता है.
ऑस्ट्रेलिया में पैसे देकर किसी की कोख से संतान पैदा कराना गैर कानूनी है, ये काम सिर्फ स्वेच्छा से कराया जा सकता है. लेकिन वहां ऐसी महिला तलाशना बहुत मुश्किल होता है, इसीलिए निसंतान दंपति एशियाई देशों का रुख करते हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)