25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फोटो साउथ.. आजादी के 67 वर्ष बाद भी नहीं बदली गुमला की स्थिति

इंट्रो– 18 मई 1983 ई को गुमला जिले की स्थापना हुई. उसी समय से गुमला जिले के लोगों ने अलग झारखंड राज्य के साथ-साथ विकास के सपने देखने शुरू कर दिये थे. संघर्षों का परिणाम रहा कि अलग राज्य तो मिला, पर गुमला जिले के लोगों के सपने आज भी अधूरे हैं. देश की आजादी […]

इंट्रो– 18 मई 1983 ई को गुमला जिले की स्थापना हुई. उसी समय से गुमला जिले के लोगों ने अलग झारखंड राज्य के साथ-साथ विकास के सपने देखने शुरू कर दिये थे. संघर्षों का परिणाम रहा कि अलग राज्य तो मिला, पर गुमला जिले के लोगों के सपने आज भी अधूरे हैं. देश की आजादी के 67 वषार्ेंर् में गुमला जिले में कई काम हुए हैं. परंतु अभी भी कई चुनौतियां हैं, जो पूरी होती नजर नहीं आ रही हंै. जनजातीय बहुल गुमला में उद्योग के कोई साधन नहीं है. आज भी इस इलाके के लोग उद्योग की स्थापना की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. फोटो है :6 गुमला 1 में गांव की सच्ची तसवीर गरीबी बयां करती6 गुमला 2 में पिता के साथ गरीबी का जंग लड़ता बेटा6 गुमला 3 में शर्ट में बटन नहीं, हाथ में थाली लिये बच्चा, यही है गांव की तसवीर 6 गुमला 4 में ग्रामीण महिलाएं काम नहीं, बेकार बैठी15 अगस्त, 2014 को देश 68वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. इस दौरान भारत ने क्या खोया और क्या पाया, यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है. इन 67 वषार्ें में गुमला जिले की क्या तसवीर बदली. यह बात गुमला जिलेवासियों के लिए मायने रखती है. किस प्रकार बिहार से पृथक हुए झारखंड राज्य में लूट राज चला. यहां कितने मुख्यमंत्री आये और गये, पर गुमला जिला जो झारखंड राज्य के स्थापना काल से ही रोटी, कपड़ा व मकान के अलावा विकास व रोजगार के सपने देखते आया. यहां के लोगों की जो उम्मीद, विश्वास व इच्छाएं थीं, इस लूट राज में सभी हो गये. 18 मई 1983 ई को गुमला जिले की स्थापना हुई. उसी समय से गुमला जिले के लोगों ने अलग झारखंड राज्य के साथ-साथ विकास के सपने देखने शुरू कर दिये थे. संघर्षों का परिणाम रहा कि अलग राज्य तो मिला, पर गुमला जिले के लोगों के सपने आज भी अधूरे हैं. देश की आजादी के 67 वषार्ेंर् में गुमला जिले में कई काम हुए हैं. परंतु अभी भी कई चुनौतियां हैं, जो पूरी होती नजर नहीं आ रही हंै. जनजातीय बहुल गुमला में उद्योग के कोई साधन नहीं है. आज भी इस इलाके के लोग उद्योग की स्थापना की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. एक कोने से आवाज निकलती है, तो जल, जंगल व जमीन का मसला सामने आ जाता है और उद्योग स्थापना की बात गौण हो जाती है. जिले में उद्योग नहीं है. हाथ में काम नहीं है. इस कारण पलायन यहां के लोगों की मजबूरी बन गयी है. हर साल हजारों लोग काम के लिए दूसरे राज्य जाते हैं. रेल लाइन का ख्वाब, बाइपास रोड, फोर लेन रोड आज भी गुमलावासियों के लिए सपने हैं. बाइपास रोड बन रहा है, पर तकनीकी अड़चनों के कारण आधा-अधूरा काम हुआ है. फोर लेन के लिए सर्वे हुआ. पर पहले से गुमला में संकीर्ण नेशनल हाइवे में फोर लेन सड़क बनाना मुश्किल है. नतीजा आये दिन यहां सड़क हादसे होते रहते हैं. परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के नाम से नवसृजित जारी प्रखंड आज भी विकास की बाट जोह रहा है. यहां नक्सलियों ने विकास के काम रोक दिये हैं. कहने को तो जारी प्रखंड है, पर आज भी यहां की स्थिति गांव से बदतर है. इसके अलावा शंख, बासा, कांजी व लफरी जैसी बड़ी नदियों में बन रहे पुल झारखंड राज्य में अस्थिर सरकार के कारण अधूरे पडे़ हैं. जिले के छह पुल-पुलिये भ्रष्टाचार के कारण बह गये. पुल क्या बहे, लाखों लोगों की लंबी उम्मीदें नदी की धारा में गुम हो गयी. हायर शिक्षा से गुमला के युवा वंचित हैं. अभी तक गुमला जिले के एक मात्र केओ कॉलेज में एमए की पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. गुमला में लॉ कॉलेज व इंजीनियरिंग कॉलेज का सपना अधूरा है. पलायन गुमला जिले की पहचान बन गयी है. मुंबई, दिल्ली, असम, बंगाल व कोलकाता जैसे बड़े शहरों में पलायन करने वाले 50 प्रतिशत लोग गुमला के रहते हैं. गुमला के लोगों का सपना कब पूरा होगा, यह आज भी यहां के लोगों के लिए यक्ष प्रश्न बना है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें