बात चाहे केंद्र सरकार की हो या फिर राज्य सरकार की, योजनाओं का मुंह हमेशा खुला रहता है. इन योजनाओं से न सिर्फ सामान्य ज्ञान का भंडार बढ़ता है, बल्किसत्ता पक्ष का वोट बैंक भी मजबूत होता है.ज्ञातव्य हो कि इंदिरा आवास योजना, राजीव आवास योजना, दाल-भात योजना, मध्याह्न भोजन योजना आदि सब ऐसी योजनाएं हैं, जो गरीबों के हित में तो हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा. गरीबों के लिए इतनी अधिक योजनाएं तैयार की गयी हैं कि उनकी सारी जरूरतें यूं ही पूरी हो जाती हैं.
मेरा मतलब है कि भोजन, वस्त्र, आवास और शिक्षा सब मुफ्त में मिल जाता है, तो फिर उन्हें काम करने की क्या जरूरत महसूस होगी. ऐसे में सरकार उन्हें निकम्मा बना रही है. ऐसी योजनाएं केवल सरकार को सत्ता पाने का नया रास्ता देती हैं और भ्रष्टाचारियों का बैंक बैलेंस बढ़ाने में काम आती हैं.
माणिक मुखर्जी, कांड्रा, पूर्वी सिंहभूम