नयी दिल्ली:मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को बर्खास्त करने के मामले में विपक्षी दलोंं के आरोपों का जवाब देते हुये सरकार ने कहा कि यह निर्णय इसलिये लिया गया क्योंकि बेनीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं इस फैसले के पीछे कोई राजनीति नहीं है.
गौरतलब है कि विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार का फैसला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है.
बेनीवाल को मिजोरम के राज्यपाल पद से उनका कार्यकाल समाप्त होने से दो माह पहले, कल रात को बर्खास्त कर दिया. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब बेनीवाल का अक्सर उनसे टकराव होता था.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो भी कदम उठाया गया वह संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरुप है.
उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कमला बेनीवाल को राज्यपाल पद से हटाने का निर्णय संवैधानिक सिद्धांतों और परंपराओं के अनुरुप है जिसे भारत के राष्ट्रपति ने स्वीकृति दी है.प्रसाद ने कहा कि अगर सरकार को इस पर कुछ और कहना है तो वह संसद में कहेगी.
कांग्रेस द्वारा इसे राजनीतिक बदले की भावना से उठाया गया कदम बताए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस निर्णय के पीछे कोई राजनीति नहीं है.उन्होंने कहा मिजोरम की राज्यपाल के खिलाफ की गई यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के पूर्व के फैसलों के विरुद्ध नहीं है. संविधान के भीतर और नियमों के अनुरुप यह कार्रवाई की गई है. इसके पीछे कोई राजनीति नहीं है.
इस बारे में और सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ गंभीर आरोप थे. सरकार ने उन्हें देखते हुए कार्रवाई की है.नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति ने इस पूरे मामले पर विचार करते हुए इस पर निर्णय किया और ऐसे निर्णय करना सरकार का विशेषाधिकार है.
उधर कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने इस निर्णय पर विरोध जताते हुये कहा कि अगर राज्यपाल कमला बेनीवाल को हटाया जाना था तो उनका कुछ दिन पहले मिजोरम तबादला क्यों किया गया. नायडू ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है.
उल्लेखनीय है कि राजस्थान की कांग्रेस नेता रह चुकीं 87 वर्षीय कमला बेनीवाल का गुजरात में राज्यपाल के पद पर रहते हुए मोदी के नेतृत्व वाली राज्य की तत्कालीन सरकार के साथ लोकायुक्त और कुछ अन्य मुद्दों पर काफी टकराव हुआ था.
मोदी के साथ उस समय टकराव के बीच बेनीवाल ने अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति आर ए मेहता को गुजरात में लोकायुक्त नियुक्त किया था.उनके इस निर्णय के खिलाफ गुजरात सरकार ने उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में अपील की थी. बहरहाल, न्यायमूर्ति मेहता ने यह पद ग्रहण नहीं किया और मोदी सरकार ने किसी उनकी जगह किसी और का नामांकन किया.
पुडुचेरी के उप राज्यपाल वीरेंद्र कटारिया को हटाए जाने के बाद बेनीवाल दूसरी ऐसी राज्यपाल हैं जिन्हें बर्खास्त किया गया है. मोदी सरकार के गठन के बाद कुछ राज्यपालों को उनके पद से हटने के लिए बाध्य किया गया जबकि कुछ इस दबाव के बावजूद अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं.