– मुकुन्द हरि-
मुंबई में एक मॉडल से बलात्कार के आरोप में फंसे सीनियर आईपीएस अधिकारी डीआईजी सुनील पारस्कर के मामले में कई नए तथ्य सामने आने लगे हैं जिसकी वजह से उन पर लगाये गए आरोप और उसके मकसद पर शक की उंगलियां उठने लगी हैं.
रेप का आरोप लगने के बाद महाराष्ट्र पुलिस मुख्यालय में तैनात डीआईजी सुनील पारस्कर का कुछ दिन पहले ही शिवसेना ने भी बचाव किया था और अब इस मामले में कई नए एंगल सामने आए हैं.
शिकायतकर्ता मॉडल के वकील ने उस पर ही लगाए आरोप
इस मामले की शिकायत करने वाली मॉडल के वकील रिजवान सिद्दीकी ने इस मुद्दे पर सनसनीखेज खुलासा करते हुए क्राइम ब्रांच को ये बताया कि मॉडल अपने रेप की खबर पब्लिसिटी के लिए फैला रही है और जब उन्हें ये लगने लगा कि वह यह सब पब्लिसिटी के लिए करने की कोशिश कर रही है तो उन्होंने आगे उसका केस लड़ने से इनकार कर दिया.
वकील ने मुंबई पुलिस को सीसीटीवी फुटेज, बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग, चैट और मेसेज की डीटेल्स क्राइम ब्रांच को सौंपी है. सीसीटीवी फुटेज में ये साफतौर से दिख रहा है कि बातचीत के दौरान मॉडल वकील से डीआईजी पारस्कर को फंसाने को लेकर साजिश रचने को कह रही है.
वकील रिजवान सिद्दीकी के मुताबिक वे उस मॉडल को ढाई साल से जानते हैं. मॉडल ने उनसे कहा था कि उसे एक बड़े रियलिटी शो में जाना है, इसलिए उसे विवाद पैदा करना है ताकि उसे पब्लिसिटी मिल सके. इसके लिए उसने एक बड़े अधिकारी यानि महाराष्ट्र पुलिस के डीआईजी सुनील पारस्कर को किसी मामले में फंसाने की बात कही थी. उसका कहना था कि वो सिर्फ ये चाहती है कि किसी तरह ऐसा हथकंडा अपनाया जाये जिससे ये मामला मीडिया में दो-चार दिनों के लिए सुर्खियां बन जाये. वकील से उसने कभी नहीं कहा कि उसके साथ पारस्कर नेरेप किया है.
अब तक क्यों चुप था वकील
जब पुलिस ने शिकायतकर्ता मॉडल के पूर्व वकील रिजवान सिद्दीकी से ये पूछा कि वह इतने दिन चुप क्यों रहे, तो उन्होंने कहा, जब हम पारस्कर की ओर से नोटिस के जवाब का इंतजार कर रहे थे उसी दौरान मेरी मुवक्किल ने अपना आरोप पूरी तरह से बदल दिया. इसके बाद मैंने उससे कह दिया कि मैं उसका केस नहीं लड़ूंगा. मैंने इसके बाद पुलिस को सूचना दी कि गवाह के तौर पर बयान दर्ज कराना चाहता हूं. इस बारे में मॉडल का कहना है कि उनके वकील ने रिश्वत लेकर इस तरह का बयान दिया है. उन्होंने कहा कि उनके पूर्व वकील को खरीद लिया गया है.
क्या है इस आरोप की वजह
उक्त मॉडल दरअसल एक बड़े रियलिटी शो में जाने की चाहत रखती थी जिसमें उसे बॉलीवुड अभिनेत्री और मॉडल पूनम पांडे की वजह से कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. इस मॉडल का ये भी कहना था कि पूनम पांडे की वजह से उसे कहीं भी काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा क्योंकि दोनों के क्लाइंट एक ही हैं. इसलिए, जहां भी वो कोशिश करती है, वहां पूनम की वजह से उसे चांस नहीं मिल पाता.
गौरतलब है कि पूनम पांडे खुद एक ऐसी मॉडल और अभिनेत्री रही हैं जो अपने विवादस्पद बयानों और हरकतों से अक्सर सुर्खियां बटोरती रही हैं. देश में टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले एक मशहूर रियलिटी शो ‘बिग-बॉस’ ने पूनम पांडे को दो करोड़ रुपयों में अपने शो का हिस्सा बनने की पेशकश की थी.
मॉडल ने पारस्कर पर ये आरोप लगाया है कि नवम्बर 2013 से जनवरी 2014 के बीच पारस्कर ने मुंबई के अपने मड आयलैंड के बंगले और नवी मुंबई के एक फ़्लैट पर उसके साथ दुष्कर्म किये हैं. उसका ये भी कहना है कि अभिनेत्री पूनम पांडे की सुनील पारस्कर के साथ बहुत नजदीकी रिश्ते हैं, इसी वजह से डीआईजी पारस्कर ने उसे प्रताड़ित किया और उसके साथ बलात्कार किये. मॉडल ने पारस्कर और पूनम पांडे पर मिले-जुले होने का आरोप लगते हुए ये भी कहा कि डीआईजी पारस्कर ने अपने और उस मॉडल के बीच की बात-चीत से जुड़े ईमेल और एसएमएस भी पूनम पांडे को भेजे हैं ताकि पूनम उसका उपयोग उस मॉडल को बदनाम करने में कर सके.
इन आरोपों में पूनम पांडे का नाम जुड़ने के सवाल पर पूनम पांडे ने सफाई दी है कि उनका पारस्कर से कोई रिश्ता नहीं है और पुलिस जब चाहे इस मुद्दे पर उनसे पूछ-ताछ कर सकती है.
क्या कहना है पुलिस का
क्राइम ब्रांच सूत्रों का कहना है कि प्रथमदृष्ट्या देखे जाने पर पारस्कर के मोबाईल फोन से मॉडल को भेजे गए सैकड़ों एसएमएस बेहद अश्लील लगते हैं. मॉडल के अलावा पारस्कर के मोबाइल सेट भी फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेज दिए हैं ताकि असलियत सामने आ सके. इसके अलावा पुलिस इस केस में अन्य लोगों के अलावाअभिनेत्री पूनम पांडे से भी पूछ-ताछ कर सकती है.
क्या पक्ष है राज्य महिला आयोग का इस मामले में
इधर महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष सुसीबेन शाह ने मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को लिखे पत्र में मॉडल व एक्ट्रेस से रेप और छेड़छाड़ के आरोपी सीनियर आईपीएस सुनील पारस्कर के सस्पेंशन की मांग की है. सुसीबेन शाह ने अपने पत्र में लिखा है कि हमें लगता है कि निष्पक्ष जांच के लिए पारस्कर को स्वेच्छा से हट जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है, तो जांच पूरी होने तक उन्हें सस्पेंड कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने एक खबर पढ़ी, जिसमें पारस्कर के वकील ने कहा था कि वह लाइ-डिटेक्टर टेस्ट नहीं दे सकते हैं क्योंकि उनके दिल का ऑपरेशन हुआ है. जबकि डॉक्टरों की राय में लाइ-डिटेक्टर टेस्ट देने में किसी तरह का खतरानहीं होता. इसलिए पारस्कर को टेस्ट देना चाहिए.
डीआईजी सुनील पारस्कर की सफाई
इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील पारस्कर का कहना है कि वो पूरी तरह से निर्दोष हैं. शिकायतकर्ता मॉडल उन्हें अपने फायदे के लिए जान-बूझकर फंसाना चाहती है. पारस्कर ने उक्त मॉडल को अपने फ्लैट पर ले जाकर रेप करने के आरोप में सफाई दी है कि वह मॉडल को नवी मुंबई वाला अपना घर किराए
पर देने के लिए वहां ले गए थे, क्योंकि मॉडल ने उनसे कहा था कि गोरेगांव की उसकी बिल्डिंग के लोग उसे घूरते रहते थे. पारस्कर ने ये भी कहा कि मामले में जिस दूसरी मॉडल पूनम पांडे से उनकी नजदीकी की बात कही जा रही है, उसे वे जानते तक नहीं.
इसके अलावा पारस्कर ने कहा कि पुलिस ने उनके बयान को सही तरीके से कोर्ट में नहीं पेश किया, जिसे लेकर वो असंतुष्ट हैं. इसी कड़ी में, उन्होंने कल क्राइम ब्रांच के सामने 13 लोगों के नाम की एक सूची प्रस्तुत की है और पुलिस से इन लोगों के बयान लेने का अनुरोध किया है. इसमें गोरेगांव के पुलिस निरीक्षक का नाम भी शामिलहै. मालूम हो कि उक्त मॉडल गोरेगांव इलाके में ही रहती थी.
इसके अलावा उन्होंने महिला अत्याचार विरोधी शाखा के सहायक कमिश्नर को लिखे एक पत्र में अपनी पत्नी, कुछ पुलिस वालों और एक फोटोग्राफर समेत कई लोगों के नाम दिए हैं, जो पारस्कर के मुताबिक मड आयलैंड में उस वक्त मौजूद थे जब उक्त मॉडल होली के अवसर पुलिस के मना करने के बावजूद पर अपना फोटोशूट करवा रहीथी.
पारस्कर की इस शिकायत पर मुंबई पुलिस के संयुक्त कमिश्नर सदानंद दाते ने कहा है कि वो पारस्कर की तरफ सेमहिला अत्याचार विरोधी शाखा के सहायक कमिश्नर को लिखे उनके पत्र की पूरी जानकारी लेंगे और पुलिस उस पत्र में उल्लिखित सभी लोगों का बयान लेगी. इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि पारस्कर के बयान को लेकर उनके असंतोष को भी जल्द ही दूर किया जायेगा.
बलात्कार जैसे अपराध किसी भी तरीके से सभ्य समाज का अंग नहीं हो सकते लेकिन इस मामले में आरोप के साथ-साथ महत्वाकांक्षा के पहलू भी नज़र आने लगे हैं. ऐसे में पारस्कर के दोषी होने या न होने का निर्णय तो जांच के बाद ही हो पायेगा लेकिन अगर ऐसे आरोप निजी फायदे और सस्ती लोकप्रियता के लिए लगाये जा रहे हैंतो निश्चित रूप से पूरे समाज के लिए ये चिंता का विषय है.