नयी दिल्ली:यूपीएससी मामले में आज भी संसद मे हंगामा हो सकता है. इस मामले को लेकर छात्रों का प्रदर्शन जारी है. सरकार के फैसले से विपक्ष और छात्र दोनों नाराज हैं.
सरकार द्वारा सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में अंग्रेजी के अंक मैरिट या ग्रेड में नहीं जोडे जाने की जो घोषणा की है वो एक वर्ष तक के लिये ही लागू होगी. अगले साल सीसेट में फिर संशोधन किया जायेगा.
पिछले 26 दिन से उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में सीसैट के विरोध में प्रदर्शन कर रहे परीक्षार्थियों ने अपने आधार को वहां से हटाकर जंतर मंतर कर लिया है.प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे तब तक विरोध करेंगे जब तक सरकार द्वारा पूरी तरह से सीसैट को नहीं हटा लिया जाता. आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव भी प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे.
एक प्रदर्शनकारी पवन ने कहा, ‘‘हम सरकार द्वारा यूपीएससी परीक्षाओं के लिए की गई घोषणाओं से संतुष्ट नहीं हैं. सरकार ने प्रस्तावित परिवर्तनों के माध्यम से अपने वादों को पूरा नहीं किया है. हम चाहते हैं कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस टेस्ट को पूरी तरह से हटाए.’’ सडक पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के दबाव में सरकार ने कल घोषणा की थी कि सीसैट के दूसरे प्रश्नपत्र में अंग्रेजी के अंक सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट या ग्रेड में नहीं जोडे जाएंगे.
कार्मिक प्रशिक्षण विभाग ने कहा था कि वह सरकार द्वारा घोषित परिवर्तन को दर्शाने के लिये अधिसूचना जारी करेगा जिसे यूपीएससी द्वारा लागू किया जाएगा.
सरकार द्वारा घोषित किए गए परिवर्तनों के साथ यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा 24 अगस्त को आयोजित की जाएगी. इस प्रारंभिक परीक्षा में 200 अंक (प्रत्येक) के दो अनिवार्य प्रश्नपत्र होते हैं जिन्हें सीसैट-1 और सीसैट-2 के नाम से भी जाना जाता है.इस सीसैट पैटर्न को 2011 से लागू किया गया था.
इस परीक्षा के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय विदेश सेवा तथा अन्य सिविल सेवाओं के लिए चयन किया जाता है. यह तीन चरणों में आयोजित की जाती है जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार होता है.
सीसैट मुद्दे पर रास में हंगामा, नहीं चला प्रश्नकाल
नयी दिल्ली: यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी-सैट मुद्दे पर आज विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा हंगामा किए जाने के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुयी और आसन ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर उचित समय तय किए जाने के बाद जल्दी ही चर्चा करवायी जा सकती है.
इस मुद्दे पर हंगामे के कारण सदन में आज प्रश्नकाल नहीं चल पाया. सदस्यों ने शून्यकाल में भी यह मुद्दा उठाया और इस पर सरकार से तुरंत स्पष्टीकरण देने की मांग की. कई सदस्यों ने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा 24 अगस्त को ही है जिसमें बहुत ज्यादा दिन नहीं बचे हैं और इस पर तुरंत चर्चा कराए जाने की जरुरत है.
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने इस मुद्दे पर विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग की वहीं सपा के नरेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री से जवाब की मांग की.उपसभापति पी जे कुरियन ने सदस्यों से कहा कि चर्चा के लिए उन्हें पहले नोटिस देना चाहिए. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में तीन नोटिस दिए हैं.
उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि अगर आपने नोटिस दिया है तो सभापति उस पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने चर्चा के मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं जतायी है. उन्होंने कहा कि अगर सभापति इसे स्वीकार कर लेते हैं तो कार्य मंत्रणा समिति या सुबह होने वाली अनौपचारिक बैठक में चर्चा का समय तय किया जा सकता है.
इसके पहले उच्च सदन की बैठक सुबह शुरु होते ही विभिन्न दलों के सदस्यों ने सी.सैट मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर सरकार के जवाब से स्थिति और उलझ गयी है. सदन की बैठक शुरु होते ही कांग्रेस, सपा, बसपा, जदयू, बीजद, वाम आदि दलों के सदस्यों ने सी-सैट समाप्त करने और प्रारंभिक परीक्षा में अन्य भारतीय भाषाओं में प्रश्नों का अनुवाद किए जाने की मांग उठाई.
जदयू के शरद यादव ने कहा कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सी..सैट शुरु किए जाने के बाद से क्षेत्रीय भाषाओं के छात्रों की संख्या लगातार घटती रही है. यादव ने सी..सैट को छात्रों के हितों के प्रतिकूल बताते हुए इसे तत्काल समाप्त किए जाने की मांग की.
बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने सी-सैट मुद्दे पर शीघ्र चर्चा किए जाने की मांग की वहीं सपा के रामगोपाल यादव ने अंग्रेजी की अनिवार्यता हटा कर क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व दिए जाने की वकालत की. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में जिस तरह भाषा का विकल्प होता है, उसी तरह प्रारंभिक परीक्षा में भी विकल्प होना चाहिए.
द्रमुक की कनिमोई ने प्रारंभिक परीक्षा में अन्य भारतीय भाषाओं को भी शामिल किए जाने की मांग की. कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि सी.सैट मुद्दे पर सदन में कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कल भाषा को तटस्थ बताया था. उन्होंने कहा ‘‘मंत्री ने जो कहा, वह समझ से परे है.’’ भाकपा के डी राजा, कांग्रेस के जेसुदासु सीलम, अन्नाद्रमुक के वी मैत्रेयन सहित कई अन्य सदस्यों ने भी यह मुद्दा उठाया.भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आंदोलन कर रहे छात्रों की मांग पर सरकार ने संवेदनशीलता के साथ कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि यह समस्या पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने पैदा की थी और वर्तमान राजग सरकार ने उसे हल करने की कोशिश की है.
* क्या है सरकार का फैसला
सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा के सीसैट प्रश्न-पत्र में अंग्रेजी के सवालों के अंक मेरिट में न जोड़ने की सरकार ने घोषणा की है. इस मामले में आधिकारिक सूत्रों ने यह साफ किया है कि आगामी प्रारंभिक परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 24 अगस्त को ही होगी.
प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग रही है कि यूपीएससी जब तक नये पैटर्न को अपना न ले तब तक प्रारंभिक परीक्षा की तारीख टाल दी जाए. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि परीक्षा अपने निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक ही होगी और प्रतिष्ठित परीक्षा संचालित करने वाली यूपीएससी संसद में आज सरकार की तरफ से की गई सभी घोषणाएं लागू करेगी.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह ने आज संसद में कहा कि 2011 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुए छात्रों को अगले साल की परीक्षा में शामिल होने का एक और मौका दिया जाएगा. सिंह ने यह भी कहा, ‘‘यूपीएससी परीक्षा में अंग्रेजी के अंक ग्रेडेशन या मेरिट में शामिल नहीं किए जाएंगे.’’ हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि सीसैट पैटर्न में बदलाव किए जाएं.