पिछली फिल्म हॉलीडे की जबरदस्त सफलता के बाद अक्षय कुमार एक बार फिर कॉमेडी फिल्म इट्स एंटरटेनमेंट के जरिये लोगों को इंटरटेन करने की तैयारी में हैं. अक्षय इस फिल्म को एक अलग कॉमेडी फिल्म करार देते हैं, जो हर उम्र के दर्शकों का मनोरंजन करने में सक्षम है. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उनसे हुई उर्मिला कोरी की बातचीत के प्रमुख अंश..
आपके लिए इंटरटेनमेंट क्या है?
इंटरटेनमेंट के बहुत सारे फॉर्म हैं. मुङो लगता है कि इसके बारे में बताने के लिए एक इंटरव्यू कम पड़ेगा. मेरे पसंदीदा इंटरटेनमेंट की बात करें, तो मुङो अपने बच्चों और परिवार के साथ समय बिताना सबसे अच्छा लगता है. यही वजह है कि मैं इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा फिल्में करने के साथ सबसे ज्यादा छुट्टियां भी लेता हूं. हाल ही में मैं 40 दिन की छुट्टी लेकर अपने परिवार के साथ डिज्नी गया था. दरअसल, मेरा काम करने का फंडा एकदम साफ है. मैं एक फिल्म को साठ दिन देता हूं. सुबह जल्दी उठता हूं. जल्दी शूटिंग पर जाता हूं. साल में तीन से चार फिल्में करता हूं. 240 दिन फिल्मों को देता हूं और 125 दिन अपने परिवार के साथ बिताता हूं.
फिल्म इट्स इंटरटेनमेंट के प्रोमो लांच के दौरान आपने कहा था कि हर किसी के घर में एक कुत्ता होना ही चाहिए. ऐसा क्यों?
हां, मैंने ऐसा कहा था, मगर फिल्म के प्रमोशन के लिए नहीं. अगर मैं यह फिल्म न करता, तो भी मैं यही कहता कि जिस घर में बच्चे हैं, वहां एक कुत्ता होना ही चाहिए. जब मैं छोटा था तब मेरे पापा ने भी एक कुत्ता पाल रखा था. आरव के जन्म के वक्त मैं भी एक कुत्ता घर ले आया था. कुत्ते से लगाव, भरोसा, सम्मान और विश्वास यह गुण बच्चे आसानी से सीख जाते हैं, जो आप उन्हें नहीं सीखा सकते. मेरे घर में तीन कुत्ते हैं. आरव को तो आप उनसे अलग कर ही नहीं सकते. कुत्ते सबसे अच्छे साथी होते हैं. फिल्म की शूटिंग के वक्त यह बात तमन्ना ने भी मान ली और वह भी एक कुत्ता ले आयी.
कुत्ते के साथ शूटिंग करना कितना मुश्किल था?
जूनियर बहुत ही स्पोंटेनियस है. उसके साथ ज्यादा रिटेक नहीं होते थे. यही वजह है कि हमने फिल्म की शूटिंग 65 दिनों में पूरी कर ली. इसके लिए नवोदित निर्देशक साजिद और फरहद के धैर्य की जितनी भी तारीफ की जाये, वह कम है.
एनिमल वेलफेयर की क्या कोई दखल थी? अकसर देखा जाता है जानवरों के साथ काम करने के उनके अलग ही नियम और कानून होते हैं?
होने ही चाहिए. वह भी एक जान है. वैसे हमारी इस फिल्म में किसी की दखल नहीं थी. जूनियर इस फिल्म का सीनियर एक्टर था. वह स्टार था. उसके साथ दो नर्स, एक डॉक्टर, एक ट्रेनर और एयरकंडिशनर वेनिटी वैन होती थी. उसका सिर्फ क्लोज श्ॉाट लिया जाता था और यही वजह है कि उसके 10 से ज्यादा डुप्लीकेट थे.
इस फिल्म के निर्देशक साजिद और फरहद की पहली फिल्म है, जबकि अभिनेत्री तमन्ना की पिछली फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं कर पायी हैं. आप क्या सोचते हैं?
मैंने अनगिनत नवोदित निर्देशकों के साथ काम किया है. साजिद और फरहद को इस फिल्म का निर्देशन करने को मैंने ही कहा. वे हाउसफुल, चेन्नई एक्सप्रेस, गोलमाल और सिंघम जैसी कई फिल्मों में बतौर लेखक जुड़ चुके हैं. उनकी लेखनी में गजब का कॉमिक पुट है. इसी के चलते मुङो लगा कि वे परदे पर बतौर निर्देशक अपनी क्रिएटिविटी को बेहतरीन ढंग से उतार सकते हैं. जहां तक बात तमन्ना की है, तो हर अभिनेता और अभिनेत्री अपने दौर में हिट फ्लॉप से गुजरते हैं. तमन्ना अच्छी अदाकारा हैं. नृत्य में भी उन्हें महारत हासिल है. उम्मीद है कि यह फिल्म उनकी पहली बॉलीवुड हिट बन जाये.
क्या आप यह मानते हैं कि इंडस्ट्री में बने रहने के लिए अलग-अलग जॉनर की फिल्में करना जरूरी है?
ऐसा नहीं है. इंडस्ट्री में ऐसे कई लोग हैं, जो एक या दो जॉनर ही कर रहे हैं फिर भी हिट हैं. मैं अपनी बात करूं तो मैं एक्टर के तौर पर खुद को चुनौती देना चाहता हूं. शुरुआत में जब मैं एक्शन फिल्में कर रहा था, तो उनको देखते हुए मैं खुद बोर होने लगा था. सोचता था कि अब यहां से जंप मारूंगा. ऐसे दौडूंगा. वैसे कूदूंगा. लगा कि मेरे फैंस भी बोर हो जाते होंगे. इसके बाद मैंने कॉमेडी, ड्रामा, रोमांस और थ्रिलर फिल्मों का हिस्सा बनना शुरू किया. मैं हर तरह की फिल्में करना चाहता हूं. मुङो किसी भी जॉनर से कोई परेशानी नहीं है.