काठमांडो, नयी दिल्लीः भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने के लिए ‘सहयोग, संपर्क, संस्कृति और संविधान’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए नेपाल की ऐतिहासिक यात्रा संपन्न कर स्वदेश लौट आए.मोदी पिछले 17 साल में नेपाल की यात्रा पर जाने वाले प्रथम भारतीय प्रधानमंत्री हैं.
यात्रा के संपन्न होने पर जारी किए गए एक संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों प्रधानमंत्रियों ने नेपाल-भारत के अच्छे संबंधों पर संतोष जाहिर किया जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध विस्तृत रुप से शामिल हैं जो दोनों सरकारों और नागरिकों के स्तर पर गहरी जडें जमाए हुए है.
बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने खासतौर पर व्यापार, पारगमन, संपर्क और पनबिजली के क्षेत्रों में उप क्षेत्रीय सहयोग बढाने के तरीके तलाशने की जरुरत पर जोर दिया.
यात्रा के दौरान मोदी ने नेपाल को भरोसा दिलाया कि भारत उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता.प्रधानमंत्री ने नेपाल के मामलों में भारतीय हस्तक्षेप की आशंका को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि भारत का नेपाल को किसी तरह ‘‘निर्देशित’’ करने का कोई इरादा नहीं है. नेपाल को स्थिर और समृद्ध लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के लिये अपना रास्ता खुद चुनना है.
उन्होंने कहा, ‘‘नेपाल सचमुच एक संप्रभु राष्ट्र है.’’ हमारा हमेशा से मानना रहा है कि आपके द्वारा किए जाने वाले कार्यो में हस्तक्षेप करना हमारा काम नहीं है बल्कि आप जो कुछ करने का फैसला करते हैं उसका समर्थन करना हमारा काम है.
अकबरुद्दीन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेपाल यात्र मुख्यत: सहयोग, संपर्क, संस्कृति और संविधान (4 सी) पर केन्द्रित थी.प्रवक्ता ने सहयोग के मुद्दे पर कहा कि भारत ने नेपाल को एक अरब डॉलर की रिण सहायता देने की कल घोषणा की. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि प्रधानमंत्री ने खुद कहा है कि यह राशि पहले से मौजूद किसी अन्य रिण सहायता के यह अतिरिक्त है.