सेनाप्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के साथ ही जेनरल दलबीर सिंह सुहाग ने कहा है कि हमारी सेना पाकिस्तानी सेना की उकसाने के इरादे से की गयी हरकतों का समुचित जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्प है और अब ऐसी घटनाओं पर भारत की प्रतिक्रिया और अधिक ‘यथोचित, तीव्र और तत्काल’ होगी.
जेनरल सुहाग ने यह भी कहा है कि उनकी प्राथमिकताओं में सैनिकों का मनोबल बढाना, उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण देना और अत्याधुनिक हथियारों व साजो-सामान से लैस कर सेना की क्षमता में विकास करना शामिल है.
पाकिस्तान व चीन के साथ राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर संबंधों की बेहतरी की भारत की निरंतर कोशिशों के बावजूद दोनों देशों की सेनाएं अंतरराष्ट्रीय सीमा का उलंघन करती रहती हैं. कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने में पाकिस्तानी सेना का हाथ होने के सबूत साफ हैं. लद्दाख में चीनी सेना के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
ऐसी स्थिति में सेनाध्यक्ष का बयान एक गंभीर चेतावनी है. सेना के आधुनिकीकरण और सैनिकों के स्तरीय प्रशिक्षण को लेकर पिछले कुछ वर्षो से देश में तेज बहस चल रही है. नयी सरकार ने रक्षा बजट में भारी वृद्धि करते हुए इस दिशा में सराहनीय पहल की है. हमारी रक्षा सेनाएं अपने बुलंद हौसलों के साथ सीमा की रक्षा के लिए तत्पर और सक्षम हैं, लेकिन उन्हें हमारे राजनीतिक नेतृत्व की मजबूत इच्छा-शक्ति के संबल की उतनी ही जरूरत है.
सरकार को सेना की आवश्यकताओं की पूर्ति का ख्याल रखना चाहिए और किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए निर्णय की स्वतंत्रता देनी चाहिए. चीन व पाकिस्तान के साथ भारत का सीमा-विवाद एक पेचीदा मसला है और सभी संबंद्ध पक्षों को यह बात समझनी चाहिए कि इनका स्थायी हल सीमा का अतिक्रमण कर या एक-दूसरे पर गोले बरसा कर नहीं किया जा सकता है.
इन विवादों का निपटारा कूटनीतिक प्रयासों से ही संभव है और इसी राह से शांति सुनिश्चित की जा सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान व चीन के नेताओं से मिल चुके हैं और कई स्तरों पर इन देशों के साथ परस्पर बातचीत जारी है. पर उनके द्वारा हमारे भरोसे का उलंघन भी जारी है. ऐसे में सेनाध्यक्ष की कडी चेतावनी एक जरूरी व सही कदम है.