नयी दिल्ली: भारत ने आज अमेरिका से दो टूक शब्दों में कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा भारत में नेताओं तथा दूसरे लोगों की जासूसी किया जाना ‘अस्वीकार्य’ है. इस पर अमेरिका ने कहा कि किसी भी मतभेद का समाधान दोनों देशों के खुफिया सेवा की ओर से मिलजुलकर किया जा सकता है.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच आज यहां लंबी बैठक के बाद यह बात सामने निकल कर आई. दोनों पक्षों ने व्यापार, रक्षा और उर्जा जैसे प्रमुख मुद्दों पर व्यापक बातचीत की. मोदी सरकार के बनने के बाद पहली बार कोई अमेरिकी विदेश मंत्री भारत के दौरे पर आया है.
साझा प्रेस वार्ता में सुषमा से पूछा गया कि क्या उन्होंने 2010 में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) की ओर से भाजपा नेताओं की जासूसी कराए गए जाने का मुद्दा उठाया? इसका खुलासा हाल ही में एनएसएस के पूर्व कांट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन किया था.
सुषमा ने जवाब दिया, ‘‘मैंने विदेश मंत्री केरी के साथ यह मुद्दा उठाया. मैंने उन्हें बताया कि जब यह खबर भारतीय अखबारों में आई तो भारतीयों ने इसका विरोध किया और अपना गुस्सा भी जताया. मैं उसी रोष से आपको अवगत करा रही हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन्हें यह भी बताया कि दोनों देश एक दूसरे को मित्र राष्ट्र मानते हैं तथा किसी भी बिंदु से हमें यह स्वीकार्य नहीं होगा कि एक मित्र राष्ट्र दूसरे मित्र राष्ट्र की जासूसी करे.’’