मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को दिया है. लेकिन सचिन तेंदुलकर को यह सम्मान देने का फैसला सरकार ने काफी हड़बड़ी में अंतिम समय में किया था. पीएमओ के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार ने अपने फैसले में अंतिम समय पर परिवर्तन किया और हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की जगह यह सम्मान सचिन तेंदुलकर को दे दिया . सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान माने जाते हैं और उन्होंने पिछले वर्ष क्रिकेट से संन्यास लिया है.
पिछले वर्ष 16 जुलाई को तत्कालीन खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने हॉकी के लीजेंड ध्यानचंद का नाम भारत रत्न के लिए प्रस्तावित किया था, जिसे प्रधानमंत्री की भी स्वीकृति मिली हुई थी. पीएमओ के आतंरिक नोट से भी यह पता चलता है कि सरकार ध्यानचंद को ही भारत रत्न देने की तैयारी में थी. यहां तक अगस्त 2013 तक सरकार ध्यानचंद को ही भारतरत्न देने पर एकमत थी.लेकिन अचानक 14 नवंबर को पीएमओ ने युवा एवं खेल मंत्रालय को सचिन तेंदुलकर का बायोडाटा भेज दिया.
वर्ष 2011 में कानून में संशोधन करके इस सीमा को हटा दिया गया था कि कोई खिलाड़ी भारतरत्न के लिए पात्र नहीं हो सकता.अंतिम समय में भारत रत्न के लिए सचिन तेंदुलकर का नाम सामने आने पर देश में काफी चर्चा हुई थी और कई अखबारों ने इस मुद्दे पर लिखा था. ध्यानचंद को भारतरत्न नहीं मिलने पर उनके बेटे अशोक कुमार ने प्रतिक्रिया दी थी कि यह ध्यानचंद के लाखों प्रशंसकों को निराश करने वाला निर्णय था. अशोक कुमार ने इसे राजनीति साजिश भी करार दिया था. ध्यानचंद का देश के लिए योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने तीन बार ओलंपिक में देश को स्वर्ण दिलाने में योगदान दिया था.
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने इस मुद्दे पर कहा था कि मेजर ध्यानचंद और सचिन तेंदुलकर दोनों ही महान खिलाड़ी हैं, दोनों ने अपने देश को गौरवान्वित किया है, इसलिए इन दोनों की तुलना नहीं की जानी चाहिए. आज सरकार की ओर से राज्यसभा में गृहमंत्री रिजिजु ने कहा की ध्यान चंद को वर्ष 2013-14 के लिए भारत रत्न देने संबंधी कोई प्रस्ताव उन्हें युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की ओर से नहीं मिला है.
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजु ने आज राज्यसभा को बताया कि वर्तमान में सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है लेकिन 16 जुलाई 2013 को तत्कालीन युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री तथा रक्षा राज्य मंत्री ने ध्यान चंद को भारत रत्न सम्मान दिये जाने का सुझाव दिया था। इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री ने नोट कर लिया था.
विवेक गुप्ता के प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया कि भारत रत्न के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सिफारिश करते हैं. लेकिन इसके लिए न तो कोई औपचारिक सिफारिश की जरूरत है और न ही इस बारे में कोई बदलाव करने का प्रस्ताव है.