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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पैसा लौटाने को तैयार सुपरटेक

नयी दिल्लीः रीयल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने बुधवार को कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए रिफंड मांगने वाले ग्राहकों को उनके पैसे लौटाएगी. उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के उन ग्राहकों को एक महीने के भीतर उनके पैसे वापस करने का आज निर्देश दिया जिन्होंने अपने निवेश पर रिफंड मांगा है. […]

नयी दिल्लीः रीयल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने बुधवार को कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए रिफंड मांगने वाले ग्राहकों को उनके पैसे लौटाएगी. उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक के उन ग्राहकों को एक महीने के भीतर उनके पैसे वापस करने का आज निर्देश दिया जिन्होंने अपने निवेश पर रिफंड मांगा है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा नोएडा में कंपनी की 40 मंजिला दो रिहाइशी इमारतों, अपेक्स और सेयेना को ध्वस्त करने का आदेश दिए जाने के बाद सुपरटेक के कुछ ग्राहकों ने अपने पैसे रिफंड करने की मांग की थी.

सुपरटेक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक आर.के. अरोडा ने एक बयान में कहा, ‘ हम उन सभी आबंटियों को जिन्होंने 30 अप्रैल, 2014 तक रिफंड के विकल्प अपनाए हैं, धन वापस करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन करेंगे.’

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद करीब 600 में से लगभग 53 आबंटियों ने अपना पैसा रिफंड करने की मांग की थी.सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि निवेशकों की खून पसीने की कमायी उन्हें वापस की जाएं.निवेशक अपना पैसा ब्याज के साथ चाहते हैं कई लोग हैं जो घर के बदले घर की भी मांग कर रह हैं. इस फैसले के बाद निवेशको को राहत मिली है.

क्या है मामला

सुपरटेक बिल्डर के टावर को अवैध घोषित करते हुए इलाहाबाद कोर्ट में अपील की गयी. कोर्ट ने दोनों टावर को नियम के विरुद्ध निर्माण में गलत पाया और दोनों टावर को गिराने का आदेश दिया. दरअसल सुपरटेक ने सोसाइटी की जमीन में ही बिना मंजूरी एक और टावर खड़ा कर दिया. इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने टावर को गिराने का आदेश दिया था. उधर फ्लैट खरीदारों का कहना है कि सुपरटेक ने अभी रिफंड नहीं दिया है. फ्लैट खरीदार स्टे ऑर्डर में बदलाव की मांग भी कर रहे हैं

कानूनी लड़ाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने उन्हें निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दे दिया. प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि फ्लैट मालिकों को मुकदमे के कारण अनिश्चितकाल के लिये अधर में रहने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

न्यायालय ने कंपनी को निर्देश दिया कि आवंटियों को अक्तूबर के अंत तक 14 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज के साथ धन का भुगतान किया जाये.न्यायालय ने सुपरटेक की इस दलील को ठुकरा दिया कि वह धन लौटाने की स्थिति में नही है क्योंकि ब्याज की राशि मूलधन से ज्यादा हो चुकी है. ये फ्लैट राजधानी के बाहरी छोर पर स्थित हैं और इनकी कीमत 65 से 90 लाख रुपए है.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘वे अनिश्चितकाल तक इंतजार नहीं कर सकते हैं. वे अपना पैसा वापस पाने के हकदार हैं. ये उनकी मेहनत की कमाई है. वे मुकदमे के कारण अदालतों के चक्कर नहीं लगा सकते.’’ न्यायालय ने कंपनी को निर्देश दिया कि अगस्त के अंत तक फ्लैट मालिकों को मूलधन लौटाया जाये.

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद करीब 600 फ्लैट मालिकों में से 53 ने अपना पैसा वापस मांगा है. एपेक्स और सेयाने टावर में कुल 857 फ्लैट हैं जिनमें से 600 फ्लैटों की बिक्री हो चुकी है.

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