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बेवजह चिंता करना ओसीडी की समस्या

मैंने लव मैरिज किया था. दोनों सरकारी नौकरी में हैं और हमें एक साल की बेटी है. शादी के बाद से ही पत्नी का स्वभाव मेरे परिवार के प्रति नकारात्मक हो गया है. घरवाले भी तलाक लेने के लिए कह रहे हैं. क्या करूं? -नवीन गुप्ता, रांची जब प्रेम आपने घरवालों से पूछ कर नहीं […]

मैंने लव मैरिज किया था. दोनों सरकारी नौकरी में हैं और हमें एक साल की बेटी है. शादी के बाद से ही पत्नी का स्वभाव मेरे परिवार के प्रति नकारात्मक हो गया है. घरवाले भी तलाक लेने के लिए कह रहे हैं. क्या करूं? -नवीन गुप्ता, रांची

जब प्रेम आपने घरवालों से पूछ कर नहीं किया था, तो तलाक कैसे ले सकते हैं. परिवार में छोटे-मोटे झगड़े होते रहते हैं. तलाक के बाद आपकी बेटी भी असुरक्षित हो जायेगी. यह जानने की कोशिश करें कि वह नकारात्मक क्यों है और उसे कैसे सकारात्मक बनाया जा सकता है. परिवार के बीच गलतफहमियों को दूर करें.

मैं 21 वर्षीय छात्र हूं. मुङो किसी से भी बात करने में शर्म आती है चाहे वह लड़का हो या लड़की. घबराहट महसूस होती है. जब भी बात करने की कोशिश करता हूं, हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं. प्लीज बताएं यह प्रॉब्लम कैसे दूर होगी?

निर्मल राज, रांची

आपको सोशल फोबिया है. शायद आप बचपन से अंतमरुखी हैं और आपने अपने विचारों को किसी के साथ शेयर नहीं किया है. जब आप किसी से बात करेंगें, तो शुरुआत में थोड़ी ङिाझक होगी, लेकिन धीरे-धीरे सहज महसूस करने लगेंगे. लोगों से अभी से मिलना शुरू कर दें. दिक्कत होने पर मनोवैज्ञानिक चिकित्सा करवाएं. मैं प्राइवेट नौकरी करती हूं. पति की किराना दुकान है. वे गुस्सैल स्वभाव के हैं. वे बार-बार फोन करके पूछते हैं कि गैस तो खुला नहीं छोड़ा या दरवाजा लॉक है या नहीं. मैं भी सिर्फ इन्हीं बातों की चिंता करती रहती हूं.

अनुपमा, पटना

आप एक मानसिक रोग की चपेट में हैं. इसका नाम ओसीडी है. पति के अधिक रोक -टोक से यह समस्या उत्पन्न हुई है. आप जानती हैं कि यह चिंता व्यर्थ है, लेकिन आप उससे निकल नहीं पा रही हैं. खुद को व्यस्त रखें एवं खुद की खुशी के लिए समय निकालें. फिर भी डर बना रहे, तो मनोचिकित्सक की मदद लें.

मैं किसी का बुरा नहीं सोचती, लेकिन चाहती हूं कि जैसा मैं चाहूं वैसा ही हो. मेरे ऊपर कोई न हो. क्या यह मानसिक रोग है?

निकिता, बोकारो

यदि आप किसी का बुरा नहीं सोचती हैं, तो दूसरों को नियंत्रण में रखने का झूठा दंभ न भरें. जब आप झूठा दंभ भरते हैं, तो खुद को अपराधबोध से ग्रस्त पाते हैं. लेकिन यदि आप सकारात्मक व्यवहार करते हैं, तो आपको खुशी महसूस होती है.

डॉ बिन्दा सिंह

क्लिनिकल

साइकोलॉजिस्ट, पटना

संपर्क: 09835018951

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