खड़गपुर: अंतरराष्ट्रीय दरजा पर ध्यान केंद्रित करते हुए आइआइटी खड़गपुर ने विदेशी छात्रों, शिक्षकों और नोबेल पुरस्कार विजेताओं को अपने परिसर में आमंत्रित करना शुरू कर दिया है. आइआइटी में इस महीने समाप्त हुए पहले इंटरनेशनल समर एंड विंटर टर्म (आइएसडब्ल्यूएटी ) में ऑस्ट्रेलिया से लगभग 10 छात्र और 19 लघु पाठ्यक्रमों में से प्रत्येक में कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय शिक्षक आये.
आइआइटी खड़गपुर में अलुमेनाई और अंतरराष्ट्रीय संबंध मामलों के डीन सिद्धार्थ मुखोपाध्याय ने बताया कि शीतकालीन सत्र में हम टोक्यो की एक यूनिवर्सिटी से पांच छात्रों के आने की उम्मीद कर रहे हैं. उस अवधि में कम से कम 10 विदेशी शिक्षक भी होंगे.
उन्होंने कहा कि अब संस्थान और विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच नियमित तौर पर दोहरा आदान- प्रदान होगा. श्री मुखोपाध्याय ने कहा कि हमारे लिए अपने अंतरराष्ट्रीय दरजे में सुधार करना महत्वपूर्ण है और इसलिए अब हम अपने छात्रों तथा शिक्षकों को विदेशी विश्वविद्यालयों में जाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं और उनके समकक्षों को दौरे के लिए यहां बुला रहे हैं.
विगत ग्रीष्म सत्र में भाग लेने के बाद जर्मनी की ब्रेमेन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोल्फ ड्रेश्चस्लेर पहले ही आइआइटी में अंतररराष्ट्रीय विजिटिंग फैकल्टी बनने के लिए सहमत हो चुके हैं. आइआइटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतिम चक्रवर्ती ने कहा कि वह इस आदान-प्रदान कार्यक्रम के लिए सरकारी राशि और अलुमेनाई से मिली चंदा राशि का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी तरह के एक अलुमेनाई परिवार ने हर साल खड़गपुर परिसर में विभिन्न क्षेत्रों के दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं की यात्र का प्रबंध करने और इसके लिए धन देने का वादा किया है. इस परिवार में एक भारतीय-अमेरिकी उद्यमी, उसकी पत्नी तथा उसका भाई शामिल है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि पहल सफल रही है, क्योंकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें विदेश और देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के ग्रीष्म-शीतकालीन व्याख्यान के लिए राष्ट्रीय स्तर की पहल का इसी तरह का ब्लूप्रिंट तैयार करने को कहा है. निदेशक ने कहा कि क्योंकि हम पहले ही इसका अनुभव कर चुके हैं, इसलिए हमसे योजना तैयार करने को कहा गया है, जिसे दूसरे संस्थानों के लिए भी अंगीकार किया जा सके. हम अगले महीने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को ब्लूप्रिंट प्रस्तुत करेंगे.