गांधीनगर : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि गुजरात सरकार ने कुछ कंपनियों को 1500 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया. जिन कंपनियों को फायदा हुआ, उसमें रिलायंस पेट्रोलियम, एस्सार पावर और अडाणी समूह शामिल हैं. 31 मार्च, 2013 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य के वित्तीय संसाधनों के कुप्रबंधन पर तैयार की गयी कैग की पांच रिपोर्ट शुक्रवार को विधानसभा में रखी गयी. कैग ने इन रिपोर्टों में 25,000 करोड़ रुपये की अनियमितता उजागर की है.
इकॉनोमिक सेक्टर पर कैग ने कहा है कि 2008-09 से 2012-13 के दौरान गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) के प्रदर्शन ऑडिट में पाया गया कि सेट-ऑफ वैल्यू की गलत गणना और गलत गोदी शुल्क दर (वर्फेज रेट) अपनाने की वजह से रिलायंस पेट्रोलियम से 649.29 करोड़ रु पये की कम रिकवरी हुई. कैग ने 1995 में जारी राज्य सरकार की बंदरगाह नीति की कड़ी आलोचना की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार संचालित गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) ने बिजली खरीदने के समझौते में उचित परामर्श प्रक्रि या अपना कर डिलिवरी प्वाइंट तय नहीं किया. फलस्वरूप एस्सार पावर गुजरात लिमिटेड (इपीजीएल) को बिजली खरीद के समझौते की अवधि के दौरान 587.50 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ मिलेगा. एस्सार पावर से बिजली खरीदने का सौदा फरवरी, 2007 में 25 साल के लिए हुआ था.
जीयूवीएनए ने करार करने के दौरान इपीजीएल से खरीदी जानेवाली बिजली के डिलिवरी प्वाइंट तय करने से पहले गुजरात ऊर्जा प्रवाहन निगम लिमिटेड (जेटको) से जरूरी परामर्श किये बिना 220 किलोवाट के वाडीनार सबस्टेशन को बिजली प्राप्ति के स्थल के लिए तय कर दिया.
बाद में डिलिवरी प्वाइंट वाडीनार सबस्टेशन से बदल कर नवंबर, 2009 में इपीजीएल का 400 केवी हडाला स्विच यार्ड कर दिया गया. कैग का यह भी कहना है कि अडाणी ग्रुप के मुंद्रा पोर्ट में गोदी के निर्माण की मॉनीटरिंग नहीं होने की वजह से 118.12 करोड़ रुपये की कम रिकवरी हुई. वहीं, गुजरात सरकार ने गुजरात अडाणी पोर्ट लिमिटेड (जीएपीएल) में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
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