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एचपी वायरस वैक्सीन है बेहतर विकल्प

महिलाओं में अनेक रोगों जैसे- गर्भाशय का कैंसर, मस्सा आदि का प्रमुख कारण एक वायरस है. इसे एचपीवी (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) कहते हैं. इतनी तरक्की कर लेने के बावजूद भी लोग इस वायरस के बारे में कम ही जानते हैं और अनजाने में इसके शिकार हो जाते हैं. एचपीवी डीएनए परिवार का वायरस है, जो […]

महिलाओं में अनेक रोगों जैसे- गर्भाशय का कैंसर, मस्सा आदि का प्रमुख कारण एक वायरस है. इसे एचपीवी (ह्यूमन पेपीलोमा वायरस) कहते हैं. इतनी तरक्की कर लेने के बावजूद भी लोग इस वायरस के बारे में कम ही जानते हैं और अनजाने में इसके शिकार हो जाते हैं.

एचपीवी डीएनए परिवार का वायरस है, जो मनुष्यों में सतही संक्रमण (जैसे- चर्म, मुंह, गला, सर्विक्स, योनि आदि में) फैलाने की क्षमता रखता है. इसके संक्रमण से मस्सा, सर्विक्स का कैंसर, गले या योनि में पैपिलोमा नामक ग्रोथ होता है. यह सतह से सतह के संपर्क में आने से होता है. अत: इसका मूल प्रसार यौन संपर्क, दूसरे व्यक्ति के छूने, चूमने, संक्रमित व्यक्ति का तौलिया इस्तेमाल करने से होता है. यह वायरस कई वर्षो तक शरीर में सुशुप्तावस्था में रहता है.

सर्विक्स का कैंसर
इस वायरस के सौ से अधिक प्रकार पाये जाते हैं, जिनमें 16, 18, 31 और 45 प्रकार के वायरस कैंसर की उत्पत्ति करने में सक्षम हैं. 50} से अधिक महिलाएं जीवन में कभी-न-कभी इस वायरस से ग्रसित होती हैं. 90} महिलाओं में शरीर, वायरस को खुद ही समाप्त कर लेता है, लेकिन 5-10} महिलाओं में यह वायरस शरीर में बना रह जाता है. यह सर्विक्स में बदलाव लाना शुरू कर देता है.

यह 7-8 वर्षो में कैंसर का रूप धारण कर सकता है. 99} सर्विक्स के कैंसर में एचपीवी वायरस होता है.

नियमित जांच जरूरी
21 साल की आयु के बाद शादीशुदा महिलाओं की हर 3 साल पर पैपस्मीयर अथवा लिक्विड बैंड साइटोलॉजी टेस्ट होनी चाहिए. 30 वर्ष की आयु से 65 वर्ष तक इस टेस्ट के साथ-साथ एचपीवी डीएनए टेस्ट हर 5 साल तक स्क्रीनिंग के तौर पर होना चाहिए. विनेगर टेस्ट में भी एचपीवी से होनेवाले बदलाव का पता चलता है. अत: जांच के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए.

कोलपोस्कोपी द्वारा भी सर्विक्स में कैंसर और प्री-कैंसरस स्टेज को भांप कर बायोप्सी से डायगAोज्ड किया जाता है. प्री-कैंसरस अवस्था में क्रायोथेरेपी लीप (बिजली द्वारा प्रभावित हिस्से को निकालना), कोन बायोप्सी या बच्चेदानी को हटवाना इसका इलाज है.

डॉ मीना सामंत

प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना

वैक्सीनेशन है जरूरी
व्यक्तिगत स्वच्छता, सुरक्षित यौन संबंध, कॉन्डोम का प्रयोग, सार्वजनिक जगहों में जूते-चप्पल पहनना और किशोरावस्था में एचपीवी वैक्सीनेशन लेना जरूरी हैं. किशोरावस्था या 26 वर्ष से आगे भी वैक्सीन लेने से सर्विक्स के कैंसर और इस वायरस से होनेवाली अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है. जिन देशों में एचपीवी वैक्सीन का इस्तेमाल कई वर्षो से नियमित रूप से हो रहा है, वहां इस वायरस से होनेवाले रोगों में गिरावट देखी गयी है. वैक्सीनेशन के बाद भी नियमित पैपस्मीयर स्क्रीनिंग टेस्ट आवश्यक है.

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