।। दक्षा वैदकर ।।
मेरी भांजी, क्लास 10 में पढ़ती है. उसे सफाई का बहुत ज्यादा शौक है. काम में भी परफेक्शन उसे पसंद है. उसकी यह आदत कभी-कभी तो हमें बहुत अच्छी लगती है, क्योंकि इससे घर साफ-सुथरा रहता है, लेकिन कभी-कभी यह परेशानी का कारण बन जाती है. कोई भी चीज हम निकाल कर बाहर रखते हैं और दो मिनट के लिए किसी दूसरे कमरे में चले जाते हैं, तो वापस आने पर वह चीज अपनी जगह पर नहीं होती. वह सलीके से जमा कर अलमारी में रख दी गयी होती है.
हम सभी इस आदत पर उसे कई बार डांट चुके हैं. वह खुद भी हम लोगों की इधर-उधर चीजें रख देने की आदत से परेशान है. बिस्तर से उठते हुए अगर थोड़ी सलवट पड़ जाये, तो वह गुस्सा करती है. किताबें सीधी की बजाय उल्टी रख दो, तो वह गुस्सा करती है. उसकी चिड़चिड़ाहट बढ़ने की वजह से उसे मेडिटेशन करने की सलाह हम सभी ने दी. अब वह सामान्य व्यवहार कर रही है.
हम में से कुछ लोगों को इसी तरह परफेक्शन की आदत होती है. इस तरह के लोग हर काम सलीके से करना चाहते हैं. फिर वह ऑफिस का काम हो या घर का काम. साफ-सुथरा किचन, बाथरूम, बेड रूम, डाइनिंग रूम आखिर कौन पसंद नहीं करेगा?
लेकिन यह बात भी हमें स्वीकार करनी होगी कि यदि कोई चीज इस्तेमाल होती है, तो वह थोड़ी बहुत इधर-उधर हो जाती है. इसमें टेंशन लेने की बात नहीं है. हमें अपनी इस परफेक्शनिस्ट वाली आदत को थोड़ा बदलना होगा, वरना हम चिड़चिड़े इनसान बन कर रह जायेंगे, क्योंकि दुनिया में कोई भी चीज हमेशा आपको परफेक्ट नहीं मिलेगी और न ही आप उसे परफेक्ट कर पायेंगे.
ऐसे लोगों के लिए सलाह यह है कि वे मेडिटेशन करें या एक्सरसाइज करें. शारीरिक कसरत की वजह से आप प्रसन्न रहेंगे, तो आपका दिमाग इधर-उधर नहीं जायेगा. कोई चीज परफेक्ट न भी दिखे, तो उसे वैसा छोड़ने की कोशिश करें. खुद पर कंट्रोल करें कि आप उस चीज को ठीक नहीं करेंगे. रिलेक्स हो कर बैठे रहें. धीरे-धीरे आपको इम्परफेक्ट चीज देखने की आदत हो जायेगी.
बात पते की..
– कई लोग परफेक्ट की चाहत में धीरे-धीरे डिप्रेशन में चले जाते हैं. ऐसे लोग हेल्दी डाइट लें. ऐसी चीजें खाएं, जिनमें विटामिन्स और मिनरल्स हों.
– हर चीज ठीक करने की कोशिश न करें. कई बार चीजें बिगड़ती भी हैं. इसे दिल से न लगाएं. खुश रहने की कोशिश करें. मन कहीं और लगाएं.