।। हर्षा भोगले ।।
आखिर लॉर्ड्स पर हमें घसियाली पिच देखने को मिली. हालांकि चाहे गर्मी को वजह मानें या फिर किसी और कारण से, इंग्लैंड की टीम अनुकूल हालात का अधिक फायदा नहीं उठा सकी. गेंद स्विंग हो रही थी और बल्लेबाज मुश्किल में थे. शुरुआती दो दिनों में मेजबान टीम के पास मैच पर शिकंजा कसने का अच्छा मौका था, लेकिन वह ऐसा करने में नाकामयाब रही. हम कह सकते हैं कि इंग्लैंड ने हाथ आया मौका गंवा दिया.
अजिंक्या रहाणे के शतक के बारे में काफी कुछ कहा जा चुका है. निश्चित रूप से उनकी बल्लेबाजी देखना सुखद अनुभव रहा. मगर उस समय जब पिच से गेंदबाजों को भरपूर मदद मिल रही थी, वह चेतेश्वर पुजारा थे, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय बल्लेबाजी लड़खड़ाये नहीं. पुजारा ने इंग्लिश गेंदबाजों को सफलता से दूर रखा और रहाणे के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया. इसके बावजूद रहाणे का शतक इसलिए भी विशेष रहा, क्योंकि यह सैकड़ा एक ऐसे क्रिकेटर के बल्ले से निकला, जिन्हें बल्लेबाजी करते देखने में आनंद की अनुभूति होती है.
पूरे दिन गेंद सीम और स्विंग होती रही. इस तरह की गेंदबाजी के खिलाफ बेहतरीन पारी खेलने के लिए बल्लेबाजी में क्लास का होना जरूरी है, जो रहाणे की पारी में दिखी. गेंद छोड़ने की उनकी योग्यता कमाल की है, उनके शॉट तो और भी लाजवाब हैं. उन्होंने शायद ही इस तरह की विकेट देखी होगी. इस लिहाज से उन्हें अपने गेम के बारे में सोचने की जरूरत थी और उन्होंने ठीक ऐसा ही किया भी. इसी का नतीजा रहा कि उन्होंने अपने कैरियर का यादगार शतक जड़ने में कामयाबी पायी. भविष्य में और शतक लगायेंगे, लेकिन यहां खेली गयी पारी उनके लिए हमेशा खास रहेगी.
इंग्लैंड के लिए गैरी बैलेंस ने जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता दिखाई. वह इस खेल के स्टाइलिश खिलाडि़यों में से नहीं हैं. बल्कि दिन के अंत में आपको उनके अधिक शॉट याद भी नहीं रहेंगे, लेकिन वह रन बना रहे हैं और हमारे इस खेल में यही बात तो मायने रखती है. वह सौभाग्यशाली रहे, उनके कैच छूटे तो कई बार गेंद ने उनके बल्ले को मात भी दी, लेकिन आखिर यह सब तो खेल का हिस्सा ही है. महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने इंग्लैंड को मैच में बनाए रखा.
नयी पीढ़ी अपने रास्ते पर चल पड़ी है. उन्होंने दुनिया को दिखाया है कि वे टेस्ट क्रि केट में रन बना सकते हैं. साथ ही एक ऐसे युग में जब 140 की स्ट्राइक रेट सामान्य है वे गेंद का इंतजार कर उसे छोड़ भी सकते हैं.