कांपेक्टर ट्रक मशीन के अभाव में बेकार पड़ी संपत्ति
गया : शहर की सफाई व्यवस्था के लिए खरीदे गये डस्टबीन पिछले कई महीनों से यूं ही बेकार पड़े हैं. कांपेक्टर ट्रक मशीन के नहीं होने की वजह से शहर में डस्टबीन का प्रयोग नहीं हो पा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि कांपेक्टर मशीन के नहीं होने के कारण डस्टबीन से कूड़ा निकालना मुश्किल है. इसी वजह से शहर में डस्टबीन नहीं रखे गये हैं. हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि पितृपक्ष से पहले कांपेक्टर मशीन की खरीद कर ली जायेगी, ताकि शहर में सफाई व्यवस्था बेहतर हो सके.
करीब 30 लाख रुपये में खरीदे गये थे डस्टबीन : पिछले साल नगर निगम ने लगभग 30 लाख खर्च कर 110 डस्टबीन खरीद गये थे. एक डस्टबीन पर करीब 25 हजार रुपये का खर्च आया था. कुछ दिनों तक इनमें से कुछ डस्टबीन का प्रयोग भी किया गया था. लेकिन बाद में हटा लिये गये. रैम्की कंपनी के जाने के बाद कांपेक्टर ट्रक मशीन की समस्या सामने आ गयी. पार्षदों ने कांपेक्टर मशीन खरीद की योजना बनायी, लेकिन अब तक मशीन की खरीद नहीं हो सकी.
सड़कों पर ही फेंका जाता है कूड़ा : डस्टबीन नहीं होने की सूरत में शहर की सड़कों पर ही कूड़ा फेंका जाता है. खुले में कचरा पड़ा होने से सड़क का अतिक्रमण होने के साथ-साथ गंदगी भी फैल जाती है. जानवर कचरे को सड़क पर फैलाने का काम करते हैं. कचरे से बदबू निकलती रहती है, जो कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती है.
पितृपक्ष में हो सकती है फजीहत : कांपेक्टर ट्रक मशीन नहीं खरीद होने की सूरत में पितृपक्ष में बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है. पितृपक्ष में दूसरे राज्यों से लोगों के आने के कारण शहर की आबादी बढ़ जाती है. ऐसे में कचरा भी बढ़ना लाजिमी है. ऊपर से शहर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश. ऐसे में अगर डस्टबीन का प्रयोग नहीं हो सका, तो निश्चित रूप से सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी.