गया: सरकारी चिकित्सक होने के साथ-साथ निजी प्रैक्टिस करने, गैर व्यावसायिक भत्ता (एनपीए) लेने व आदर्श आचार संहिता लगने के बावजूद पशुधन सहायक का तबादला करने के आरोप में जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार घिर गये हैं.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने डॉ कुमार पर लगे आरोप की जांच का आदेश दिया है. जांच जिले के वरीय उपसमाहर्ता पुरुषोत्तम ओझा कर रहे हैं.
गुरुवार को इसी सिलसिले में श्री ओझा जिला पशुपालन पदाधिकारी के कार्यालय पहुंचे व फाइलों की जांच की. उन्होंने बताया कि डॉ कुमार पर सरकारी चिकित्सक होने के बावजूद निजी प्रैक्टिस करने, सरकार से एनपीए की राशि प्राप्त करने व आदर्श आचार संहिता के बावजूद पशुधन सहायक का तबादला करने का आरोप है. इन्हीं आरोपों की जांच हो रही है. इसके अलावा अन्य आरोपों की भी जांच की जा रही है.
श्री ओझा ने बताया कि जांच रिपोर्ट पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग को भेजी जायेगी. उल्लेखनीय है कि टिकारी प्रखंड के पंचायत समिति सदस्य नीरज कुमार ने आरोप लगाया है कि डॉ विपिन कुमार गया जिले में विगत 25 वर्षो से स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं. साथ ही, वह 20 वर्षो से निजी प्रैक्टिस भी कर रहे हैं. डॉ कुमार बोधगया में निजी पशु क्लिनिक चलाते हैं. उन्होंने सरकार को गलत घोषणा पत्र देकर एनपीए की राशि प्राप्त की है.
उनके द्वारा अप्रैल 2000 से 2007 तक कुल चार लाख 45 हजार 738 रुपये की एनपीए की राशि निकाली गयी है. इसके अलावा डॉ कुमार ने नियम के विरुद्ध व आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए पशु शल्य चिकित्सालय, गया के पशुधन सहायक प्रिंस कुमार प्रिंस का स्थानांतरण आमस के पशु चिकित्सालय में कर दिया. पंचायत समिति सदस्य ने डॉ विपिन कुमार पर बोधगया के पशुपालकों को मवेशियों का फर्जी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र निर्गत करने का भी आरोप लगाया है. इधर, डॉ कुमार ने बताया कि उनके कार्यालय में गलत करने वाले लोगों के बहकावे में आकर पंचायत समिति सदस्य ने आरोप लगाया है. बोधगया स्थित उनके निजी क्लिनिक में उनका कंपाउंडर बैठता है. जांच के क्रम में वरीय उपसमाहर्ता श्री ओझा ने डॉ कुमार के बोधगया स्थित क्लिनिक की भी जांच की.