भागलपुर: मोकामा- किऊल रेलखंड में बुधवार की रात टाटा- छपरा एक्सप्रेस ट्रेन में हुई डकैती ने रेल सुरक्षा की पोल तो खोल दी. अपराधियों द्वारा एक लड़की को साथ ले जाने की घटना ने चौंका दिया है.
इस तरह का प्रयास अपराधियों के बढ़ते मंसूबे और पुलिस का कमजोरी का परिचायक है. टाटा- छपरा ट्रेन में हुई घटना ने 18 साल पहले किउल जमालपुर रेलखंड के उरैन के पास बंबई जनता ट्रेन में हुई डकैती की घटना की याद दिला दिया. मोकामा से किउल- जमुई व किऊल से जमालपुर रेलखंड अपराधियों का सॉफ्ट टारगेट शुरू से रहा है. हाल के वर्षो में आपराधिक घटनाओं में तो कमी आयी लेकिन नक्सली वारदात में तेजी आयी. बुधवार की रात मनकट्ठा स्टेशन के पास टाटा- छपरा ट्रेन में हुई भीषण डकैती व महिलाओं के साथ छेड़छाड़ व एक लड़की को उठा कर ले जाने के प्रयास के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि रेल यात्र किस तरह से असुरक्षित हो गयी है.
बधाई के पात्र तो वो यात्री है जिन्होंने मानवता को तार- तार होने से बचा लिया. 1996 में मुंबई से भागलपुर आ रही बंबई जनता ट्रेन में उरैन के पास भीषण डकैती हुई थी. दो घंटे तक पूरे ट्रेन में जम कर लूटपाट हुई. एक रेलकर्मी की इसमें हत्या भी कर दी गयी थी. महिला रेल यात्रियों के साथ सैकड़ों यात्रियों के सामने र्दुव्यवहार किया गया. इस घटना का तब व्यापक विरोध हुआ था. भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय का पूरा क्षेत्र तीन दिनों तक बंद रहा था. आम लोग इस घटना के खिलाफ उठ खड़े हुए थे. 10 साल पहले बरियारपुर के पास ट्रेन लूटेरों ने लूटपाट का विरोध करने पर सेना के एक अधिकारी की हत्या कर दी थी.
असल में यात्रियों की सुरक्षा में रेल पुलिस पूरी तरह फेल है. ट्रेन में स्कार्ट पार्टी यात्रियों की सुरक्षा में कम वसूली में अधिक तत्पर रहती है. सामान्य कोच हो या एसी कोच बेटिकट यात्रियों की भरमार रहती है. टाटा- छपरा ट्रेन में भी लुटेरे यात्री के वेश में सवार हुए थे. बुधवार की घटना ने एक बार फिर रेल यात्र के प्रति भय पैदा कर दिया है. खासकर महिला यात्रियों को विशेष सुरक्षा की जरूरत है. भागलपुर की बात करें तो मालदा डिवीजन का यह सबसे महत्वपूर्ण स्टशेन है लेकिन यहां की रेल पुलिस को सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है.