नयी दिल्लीः दिल्ली की लाइफलाइन माने जाने वाली मेट्रो का सफर अब बेहद खतरनाक होता जा रहा है दिन ब दिन मेट्रो में हादसों की सख्यं बढ़ती जा रही है. इन हादसों की यात्रा का खतरनाक अनुभव आज मेट्रो के यात्रियों को करना पड़ा. यात्रियों में उस वक्त हड़कंप मच गया जब ट्रैक पर दौड़ती ट्रेन के दरवाजे खुले थे.लगभग सवा मिनट तक यात्रियों में दहशत फैली रही. जब ट्रेन स्टेशन से निकली तो उसके बाईं तरफ वाले सभी दरवाजे तकरीबन सवा मिनट तक खुले थे. यह मेट्रो ट्रेन अर्जुनगढ़ और घिटरौनी स्टेशन के बीच चलती है. दरवाजा स्टेशन तक पहुंचने के बाद ही बंद किया गया.
दिल्ली मेट्रो की शुरुआत
दिल्ली में मेट्रो का परिचालन दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित किया जाता है. दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत 24 दिसंबर 2002 को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई. इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है. सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम(ROTEM) द्वारा किया गया है.दिल्ली मेट्रो का निर्माण 1998 में शुरू कर दिया गया था , पर पहला रेलवे लाइन जो की लाल रेखा (रेड लाइन) के रूप में जाना जाता है 2002 में खोला गया. इसके बाद जल्द ही अन्य लाइन जैसे येलो लाइन, ब्लू लाइन, ग्रीन लाइन और वायलेट लाइन भी लाये गए. दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था. दिल्ली सरकार का मेट्रो परिचालन के पीछे यही उद्धेश्य था कि सड़कों पर परिवहन बोझ कम होगा.
आरामदायक सफर में हादसों का डर
दिल्ली मेट्रो कई बार बड़े हादसे का शिकार हो चुका है. मेट्रो के अलावा इसकी रेलवे लाइन और ब्रिज के निर्माण में भी कोताही बरतने का आरोप लगा है. पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में दिल्ली मेट्रो के एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के गिरने के बाद छह लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 30 घायल हो गए थे. हालांकि इस हादसे के बाद मेट्रो के पितामह कह जाने वाले मुखिया ई श्रीधरन को ऐसी चोट पहुंची कि उन्होंने इस्तीफ़ा ही दे दिया. अपनी 77वें जन्मदिन के मौके पर रविवार को श्रीधरन की सुबह बुरी ख़बर के साथ शुरू हुई लेकिन शाम तक उनका इस्तीफ़ा नामंज़ूर कर दिया गया था.
इस हादसे के बाद एक और हादसा दक्षिणी दिल्ली के कैलाश कॉलोनी के पास जमरूदपुर में हुआ. दरअसल, राहत कार्य के दौरान एक क्रेन के उलटने के बाद बड़े-बड़े गर्डर पुल से पास के झोपड़ियों पर अचानक गिरने लगे. ये हादसा राहत कार्य के दौरान हुई. ये हादसा इतना बड़ा था कि इसमें 6 लोग जख्मी हो गए. क्रेन का ड्राइवर भी हादसे में घायल हो गया. मुख्य रुप से ज्यादातर हादसे मेट्रो कंस्ट्रक्शन के दौरान हुए. इसके अलावा दिल्ली मेट्रो में कई बड़े हादसे सिर्फ लापरवाही के कारण हुए. कहीं सरकार की लापरवाही तो कहीं कर्मचारियों की लापरवाही के हादसे का कारण बनते रहे.