आदर्श दास और कुशाग्र नंदन, दो ऐसे युवाओं के नाम है, जिन्होंने उस दौर में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कदम रखा, जब देश में आइटी सेक्टर की धूम थी. लीक से हट कर उन्होंने पहले सोलर एनर्जी के क्षेत्र में नौकरी करके जरूरी अनुभव प्राप्त किया. फिर 2010 में ‘सनसोर्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से अपनी कंपनी शुरू की.
नब्बे के दशक में युवाओं का रुझान आइटी और कंप्यूटर साइंस में कैरियर बनाने की ओर था. उस समय आदर्श दास और कुशाग्र नंदन ने सोलर एनर्जी के क्षेत्र में लंबी पारी की शुरुआत के बारे में सोचा. तब उन्होंने ऊर्जा एवं नवीनीकरण क्षेत्र में भविष्य देख कर उसमें अपना कैरियर तलाशने के लिए कदम बढ़ाया. इन दोनों की दूरदर्शिता, सोलर पावर प्लांट्स का विश्वस्तरीय अनुभव और कुछ बेहतर करने के जज्बे ने ही सनसोर्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को विश्वस्तरीय सोलर कंपनी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
दोस्ती का आधार बेहतर काम
आदर्श दास के अनुसार, उन्होंने डीटीइ एनर्जी, मिशिगन में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम करते हुए सोलर एनर्जी के अनेकों मैगावाट स्तर के पावर प्लांट्स पर महत्वपूर्ण कार्य किया. वहीं कुशाग्र नंदन ने भी सनडियोरेंस, न्यू जर्सी में प्रोजेक्ट मैनेजर के स्तर पर अनुभव हासिल किया. अमेरिका के न्यू जर्सी व मिशिगन में काम करते हुए दोनों ने बहुत से सोलर पावर प्लांट्स के लिए एक साथ काम किया. आदर्श दास की सोलर एनर्जी इंवेस्टमेंट पर बेहतर समझ एवं अनुभव और कुशाग्र नंदन की सोलर पावर प्रोजेक्ट्स डिजाइन व तकनीकी अनुभव से दोनों ने लंबी पारी की शुरुआत की. कुशाग्र नंदन के अनुसार, ‘वे अमेरिका में सोलर बिजनेस में उस समय आये, जब यूएस में सोलर पावर प्लांटस की शुरुआत हुई थी.’ सोलर पावर प्लांटस के मार्केट पर बेहतर समझ के बाद दोनों ने सही समय पर भारत लौटने का निर्णय लिया. अमेरिका की बेहतर जीवनशैली छोड़ कर दोनों युवाओं ने अपने अनुभव व तकनीकी समझ को भारत में स्थापित करने का इरादा बनाया.
कैसे हुई इसकी शुरुआत
कुशाग्र नंदन बताते हैं, ‘वर्ष 2010 में सनसोर्स एनर्जी का ऑफिस आदर्श दास ने अपने लिविंग रूम से शुरू किया. तकरीबन सात महीने बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए परामर्श कार्य के प्रोजेक्टस संभालते हुए, उनकी टीम ने यह महसूस किया की सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भारत में सेवा उपभोक्ताओं को जानकारी की बहुत आवश्यकता है. भारत में सोलर पावर के क्षेत्र में संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए सही तकनीक, बेहतर डिजाइन और रुचि जरूरी है. साथ ही उपयुक्त सोलर पावर प्लांट के लिए निवेशकों को सोलर प्रोजेक्ट्स की तरफ आकर्षित करना आवश्यक है. इसमें शुरुआती निवेश अधिक है. इसलिए इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती लंबे समय तक टिके रहना है. यही चुनौती सफलतापूर्वक निभाना सनसोर्स एनर्जी की सफलता और उपभोक्ताओं में उनकी लोकप्रियता का आधार बना. इसकी मुख्य विषेशता अपने हर उपभोक्ता की जरूरत के अनुसार काम करना और इसकी कुल लागत को न्यूनतम करके सोलर पावर प्लांट को 25 वर्षीय पूंजी बनाना है. यही कारण है कि सनसोर्स एनर्जी ने कुछेक वर्षो में ही पूरे देश में अपनी पकड़ मजबूत की है.
कैसे मिला पहला प्रॉजेक्ट
सनसोर्स को अपना पहला प्रोजेक्ट पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांव के एक स्कूल के लिए मिला, जहां उनको 100 किलोवॉट का सोलर पावर प्लांट लगाना था. इस प्रोजेक्ट में सबसे बड़ी चुनौती स्कूल की डीजल निर्भरता को पूरी तरह खत्म करना था. मगर 100 किलोवॉट के सोलर प्लांट के लिए बैटरी बैकअप तैयार करना और उसे सफल बनाना एक बड़ी चुनौती थी. इस प्रोजेक्ट को उन्होंने अपनी अनुभवी टीम और तकनीकि समझ के दम पर एक सफल बैटरी बैकअप के साथ डिजाइन व निर्माण करके पूरा किया.
यह प्रोजेक्ट एमएनआरइ से सबसिडी प्राप्त है. इस प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे एक्साइड बैटरी के सोलर कंट्री हेड ने इस प्रोजेक्ट की तारीफ करते हुए कहा था कि इस सोलर प्रोजेक्ट का डिजाइन व इंजीनियरिंग पूरे भारत के बेहतरीन सोलर प्रोजेक्ट्स में से एक है.
मंजिल की ओर चलते रहना है
सिर्फ चार वर्षो में पूरे देश में लगभग 30 प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक संपन्न करके, सनसोर्स एनर्जी ने सोलर पावर प्रोजेक्ट्स में खुद को साबित किया है. यह कंपनी करीब सात राज्यों में 30 प्रोजेक्ट्स के साथ 750 किलोवॉट सोलर प्रोजेक्ट्स पूरे कर चुकी है. साथ ही कई मैगावॉट स्तर के सोलर पावर प्रोजेक्ट पर लगातार काम चल रहा है. आदर्श दास के अनुसार, ‘इस क्षेत्र में उनके पुराने अनुभव ने बेहतरीन भूमिका निभायी है.’ सोलर पावर के माध्यम से आम आदमी से लेकर बड़े निवेशकों तक की ऊर्जा निर्भरता को खत्म करना सनसोर्स एनर्जी का लक्ष्य है.
आइआइटी में ही पैदा हुई इस ओर रुचि
पटना में जन्मे आदर्श दास ने अपनी स्कूलिंग पटना के सेंट माइकल स्कूल से संपन्न की है. आइआइटी खड़गपुर से एनर्जी इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. आइआइटी के तीसरे वर्ष में उनका रिन्यूएबल एनर्जी की ओर रुझान हुआ. इस दौरान भारत के कर्नाटक में स्थित सेलको कंपनी में ग्रामीण विद्युतीकरण के प्रोजेक्ट पर कई वर्षो तक काम किया. आदर्श दास ने रॉस स्कूल ऑफ बिजनेस यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से एमबीए किया है. साथ ही यूनिवसिर्टी ऑफ मैसाचुसेट्स से सोलर इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. दास ने सॉलक्ट्रिया में अप्लीकेशन इंजीनियर के पद पर अपना पहला सोलर इनवरटर डिजाइन किया. इसके बाद डीटीइ एनर्जी में प्रोजेक्ट डेवलपमेंट मैनेजर के पद पर कार्य करते हुए कैलिफोर्निया साइट्स पर अनेकों मैगावाट स्तर के सोलर प्रोजेक्ट पर काम किया है.