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नाले में नहीं जायेगा आस्था का जल

मुजफ्फरपुर: देर से ही सही, लेकिन गरीबनाथ न्यास समिति प्रबंधन ने इस बात को मान लिया है कि बाबा पर होनेवाले जलाभिषेक का सही प्रबंधन नहीं हो रहा था. लोगों की आस्था का जल नाले में जा रहा है, लेकिन इसको लेकर अब जल्दी ही कोई ठोस फैसला लिया जायेगा. किस तरीके से जल का […]

मुजफ्फरपुर: देर से ही सही, लेकिन गरीबनाथ न्यास समिति प्रबंधन ने इस बात को मान लिया है कि बाबा पर होनेवाले जलाभिषेक का सही प्रबंधन नहीं हो रहा था. लोगों की आस्था का जल नाले में जा रहा है, लेकिन इसको लेकर अब जल्दी ही कोई ठोस फैसला लिया जायेगा. किस तरीके से जल का सही प्रबंधन हो, इसके लिए न्यास समिति की बैठक में चर्चा की जायेगी.

सभी विकल्पों पर विचार करके उचित फैसला लिया जायेगा. इसमें जल को साहू पोखर व गंडक नदी में गिराने का विकल्प भी शामिल होगा. कोई और सुझाव आयेगा, तो समिति की ओर से उसका भी स्वागत किया जायेगा. ये बातें समिति के सचिव एनके सिन्हा ने कहीं.

उन्होंने कहा, जल प्रबंधन के लिए बेहतर रास्ता निकाला जाये, इस पर कोई विरोध नहीं है. बैठक में सभी सदस्यों से राय ली जायेगी. आस्था के जल का सम्मान हो, इसके सभी विकल्पों पर विचार किया जायेगा. सचिव ने कहा, बाबा पर अर्पित किया हुआ जल नाले में नहीं जाये, इसके लिए समिति ठोस निर्णय लेगी. समिति के पास फंड की कमी नहीं है. इस कार्य के लिए जितना रुपया खर्च होगा, उसे खर्च किया जायेगा. समिति के सचिव ने कहा, हम प्रशासन व जन प्रतिनिधियों से बात करेंगे.

उनसे जल के प्रबंधन के लिए जमीन मुहैय्या कराने की मांग करेंगे. उनके सहयोग से हम इस पर आगे बढ़ेंगे. दो दिन पहले जब प्रभात खबर की ओर से यह मुद्दा उठाया गया था, तो पहले मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े सदस्यों की ओर से जोरदार तरीके से प्रतिवाद किया गया था. कहा गया था, बाबा पर होनेवाले जलाभिषेक के बेहतर प्रबंधन का इंतजाम मंदिर के पास है. लेकिन जैसे ही पूरा मामला सामने आया, सब चीजें साफ हो गयीं. पुजारी विनय पाठक की ओर से कहा जा रहा था, आस्था के जल को पाइप के सहारे जमीन के अंदर भेज दिया जाता है, लेकिन जिस तरह की व्यवस्था उन्होंने दिखायी, वह सवालों के घेरे में आ गयी थी. साथ ही मंदिर प्रबंधन से जुड़े कई सदस्यों ने स्वीकार किया कि बाबा पर चढ़नेवाले जल को बाल्टियों व मशीन के सहारे पास के नाले में ही बहा दिया जाता है, क्योंकि जिस समय बाबा पर जलाभिषेक की भीड़ होती है, उस समय इसके अलावा उन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं होता है. सदस्यों का बयान सामने आने के कुछ घंटों के बाद ही समिति के सचिव एनके सिन्हा ने पूरे मामले पर सफाई दी. साथ ही यह बात भी मान ली कि जल का सही तरीके से अभी तक प्रबंधन नहीं हो रहा था.

बाबा गरीबनाथ के जलाभिषेक में उपयोग किया गया जल आस्था का है. अस्सी किलोमीटर दूर पहलेजा घाट जाकर लोग गंगाजल लाकर बाबा का अभिषेक करते हैं. उस जल का प्रवाह पवित्र स्थान पर होने के बदले नाले में किया जाता है, जो काफी दु:खद है. इस पवित्र जल को अंडरग्राउंड किया जा सकता है. इसके लिए मंदिर परिसर या उसके आसपास डीप बोरिंग कर समस्या का हल निकाला जा सकता है. डीप बोरिंग से जितना भी जल होगा वह पाताल में चला जायेगा.

– ऋतुराज, सामाजिक कार्यकर्ता

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