7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छिपाने से नहीं मिटेगी गरीबी

गरीबी का आकलन कोई नयी बात नहीं है और इस पर मतभेदों या विवादों का उभर आना भी नया नहीं है. इसका आकलन कैसे किया गया, इसकी पद्धति क्या थी, इसके नतीजे को किस रूप में रखा और देखा गया, इन सबको लेकर सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इन विवादों के बीच यह समस्या अनसुनी […]

गरीबी का आकलन कोई नयी बात नहीं है और इस पर मतभेदों या विवादों का उभर आना भी नया नहीं है. इसका आकलन कैसे किया गया, इसकी पद्धति क्या थी, इसके नतीजे को किस रूप में रखा और देखा गया, इन सबको लेकर सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इन विवादों के बीच यह समस्या अनसुनी रह जाती है कि आखिर यह गरीबी कैसे मिटेगी? सरकार का पूरा जोर तो इसी पर होता है कि अपनी शासन-व्यवस्था में वह गरीबों की संख्या कम से कम दिखाये, ताकि दुनिया भर में उसकी वाहवाही हो सके.

सरकार को इसका पहला फायदा तो यह मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी छवि निखरती है. इसके बाद वह अपनी आर्थिक नीतियों का डंका पीट पाती है. इसके अलावा, उसे कल्याणकारी खर्चो में कटौती की इजाजत मिल जाती है, लेकिन सवाल उठता है कि इसी तरह गरीबों की संख्या छिपायी जाती रही, तो फिर गरीबी जड़ से मिटेगी कैसे?

नम्रता, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें