प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति को कानूनन सही ठहराने के लिए कल लोकसभा में ट्राई संशोधन विधेयक पेश किया गया. इस बिल को पेश करते सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर ने कहा कि ट्राई के नियमों और कानूनों में बदलाव करने का सरकार को पूरा हक है, इसलिए वे सरकार की तरफ से इस विधेयक को पेश कर रहे हैं.
जब उन्होंने इस बिल को पेश किया, तो विपक्ष ने इस बिल का काफी विरोध किया. गौरतलब है कि सरकार ने नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति अध्यादेश के जरिये की थी, जिसके बाद विपक्ष ने इसका काफी विरोध किया था. लेकिन सरकार नृपेंद्र मिश्र की नियुक्ति को लेकर कृपसंकल्पि है, इसलिए वह ट्राई संशोधन बिल को संसद से पास कराकर ही रहेगी.
राज्यसभा से बिल पास कराने में सरकार को करनी होगी मशक्कत
लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है, इसलिए ट्राई संशोधन बिल तो यहां से आसानी से पास हो जायेगा. लेकिन ट्राई संशोधन बिल को राज्यसभा से पास कराने में सरकार को मेहनत करनी पड़ेगी. राज्यसभा में सरकार को बहुमत नहीं है. राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या है 245, जिनमें से एनडीए 58, यूपीए 80 और अन्य पार्टियों के सांसदों की संख्या 86 है.
इस स्थिति में सरकार ट्राई संशोधनबिल पास कराने के लिए अन्य पार्टियों के सांसदों को विश्वास में लेना होगा. एआईडीएमके के 11, डीएमके के 4 , बीजू जनता दल के सात सहित राष्ट्रीय लोकदल के सांसदों को सरकार अगर मैनेज कर लेती है, तो उसे बिल को राज्यसभा से पास कराने में कोई परेशानी नहीं. मनोनीत सांसद भी 10 है, साथ ही खाली दो सीट भी सरकार के लिए वरदान बन सकते हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की यह पहली परीक्षा है, जिसमें उन्हें पास होना होगी?